पिछले 15 दिनों में सब्जी के दाम असमान पर , बिगड़ा रसोई का बजट

कोरोना काल में कभी सब्जियां काफी महंगी बिकी तो सस्ती भी बिकीं। बीस दिनों पहले तक कुछ राहत थी। सब्जियों के भाव इतने अधिक नही थे कि लोग खरीद न सके। इधर अचानक फिर से भाव अधिक बढ़ गए है। आलू, टमाटर, लौकी, घुइयां, परवल, बैंगन, कद्दू सहित लगभग हर सब्जी महंगी हो गई है। जिससे आम आदमी की मुसीबत बढ़ गई है। लोग अपनी पसंद की सब्जियां नही खरीद पा रहे हैं। भाव पूछते ही होश उड़ जाते हैं। महंगाई अधिक होने से खरीदने की हिम्मत नही जुटा पाते। बताया जा रहा है कि नदियों का जलस्तर बढ़ जाने से बोई गई सब्जियों की फसल प्रभावित हुई है। साथ ही बारिश का भी असर पड़ा है। इससे आवक काफी कम हो गई है। हालत यह है कि गरीबों के लिए सबसे सस्ता आलू भी उनकी पहुंच से दूर हो गया है।

सब्जियां कम आने से हुई महंगी

सब्जी विक्रेता रामसिंह का कहना है कि बीस दिनों पहले तक पर्याप्त सब्जियां आती रहीं। लोकल में भी किसान सब्जियां लेकर आते थे। इधर नदियों के किनारे की फसलें चौपट हो गई हैं। कहीं-कहीं पर बारिश इतनी अधिक हुई है कि पैदावार पर असर पड़ा है। यही वजह है कि आवक कम है। इससे सब्जी महंगी है।

बोली गृहणियां

– इतनी महंगी सब्जियां कौन खरीद पाएगा। कोरोना की वजह से काम धंधा खास नहीं हुआ अब सब्जी महंगी हो गई हैं। इससे अधिकांश दाल ही बनाकर काम चला लेते हैं। महंगी सब्जी लेना बस की बात नहीं है।

एक किलो दाल लेंगे तो वह छह से सात दिनों तक चल जाएगी लेकिन सौ रुपये की सब्जी दो दिन के लिए भी नहीं पूरी पड़ेगी। सब्जियां खासी महंगी हो गई हैं जिससे खरीदने की हिम्मत नहीं पड़ती है।

— दालों की बढ़ी मांग

सब्जी महंगी होने से दालों की मांग ठीक हो गई है। अरहर, मूंग, चना, मसूर की दालों के साथ लोग सोयाबीन बड़ी, मिथौरी आदि ले रहे हैं। दालें और बड़ी कई दिनों तक पकाई जा सकती है। कीमत भी बहुत अधिक नहीं है। रामकुमार गुप्ता विक्रेता

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