बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए कृमि रोग के प्रति जागरूकता जरूरी

रायपुर : देश सहित छत्तीसगढ़ में 8 अगस्त को राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस मनाया जाएगा। कृमि रोग अर्थात पेट में कीड़े होना एक साधारण बीमारी समझी जाती है, मगर इसका इलाज न किया जाए तो यह रक्ताल्पता, कुपोषण, आंतों में रुकावट, एलर्जी जैसे कई रोगों का कारण बन सकता है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार भारत के एक से चौदह वर्ष की आयु के 241 मिलियन बच्चे परजीवी आंत्र कृमि से पीड़ित हैं, इससे बच्चों में संक्रमण का अंदाजा लगाया जा सकता है। बच्चों को कृमि के संक्रमण से मुक्त करने के लिए लोगों को कृमि रोग के व्यापक प्रभाव के बारे में जानने की आवश्यकता है जिससे वह बचाव के प्रति जागरूक हो सकें। इसके लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर एक अभियान के रूप में बड़ी संख्या में बच्चों तक पहुंचकर कृमि मुक्ति और जनजागरूकता का प्रयास किया जाएगा।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य, पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी के लिए विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से एक से उन्नीस वर्ष की उम्र के बीच के सभी बच्चों को कृमि नाशक दवा देकर कृमि मुक्त बनाना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत बड़ी संख्या में बच्चों तक कृमि मुक्ति के लाभ पहुँचाने विभिन्न जागरूकता गतिविधियों को शामिल किया गया है।
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय कृमिमुक्ति दिवस 8 अगस्त को सभी आंगनबाड़ियों,स्कूलों और महाविद्यालयों में लगभग एक करोड़ 12 लाख 60 हजार से अधिक बच्चों को कृमिनाशक गोली ‘एल्बेंडाजॉल‘ खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त समन्वय से क्रियान्वित किया जाएगा। अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। इस दिन बच्चों में कृमि के प्रभाव को दूर करने के लिए स्कूलों में 6-19 साल के सभी नामांकित बच्चों को शिक्षकों द्वारा दवाई खिलाई जाएगी। आंगनवाड़ी में 1-5 साल के सभी पंजीकृत बच्चों और 1-19 साल के गैर-पंजीकृत, स्कूल ना जाने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा दवाई खिलाई जाएगी। इसके साथ ही कृमि रोग से संबंधित जन-जागरूकता के प्रयास किये जाएंगे।
कृमि रोग या मृदा-संचारित कृमि संक्रमण (एचटीएच) क्या है
कृमि रोग को मृदा-संचारित कृमि संक्रमण (एचटीएच) नाम से भी जाना जाता है। हेलिं्मथ कृमि जो कि मल से दूषित मिट्टी के माध्यम से फैलते हैं, उन्हें मृदा-संचारित कृमि (आंत्र परजीवी कीड़े) कहा जाता है। गोल कृमि, वीप वर्म, अंकुश कृमि मनुष्य की आंतों को संक्रमित करते है।
कृमि संक्रमण के कारण
कृमि संक्रमण मुख्यतः अस्वच्छता के कारण होता है। कृमि मानव की आंतों में रहते हैं और आहार और जीवित रहने के लिए आंतों से पोषक पदार्थ चूस लेते हैं। कृमि हर दिन हजारों अंडे उत्पन्न करते हैं जो संक्रमित व्यक्ति के मल में चलेे जाते है। संक्रमित व्यक्ति के बाहर खुले में मल त्याग करने या अस्वच्छता से कृमि के अंडे मिट्टी में चले जाते है। संक्रमित मिट्टी के संपर्क द्वारा कृमि संक्रमण फैलता है। अंडे मिट्टी को दूषित करते हैं और कई तरह से संक्रमण फैलाते हैं। बिना धुली, आधी पकी या अच्छी तरह न छीली गई सब्जियों से संक्रमण हो सकता है। दूषित पानी पीने से या बच्चों के मिट्टी में खेलने के बाद हाथ बिना धोए मुह में डालने या खाना खाने से भी संक्रमण हो सकता है।
कृमि संक्रमण के लक्षण
हल्के संक्रमण वाले बच्चों मे आम तौर पर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। शरीर में कृमि की जितनी अधिक मात्रा (तीव्रता) होती है, लक्षण उतने ही अधिक दिखाई देते हैं। तीव्र कृमि संक्रमण से दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी ,उल्टी और भूख की कमी जैसे कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
कृमि रोग के प्रभाव
कृमि संक्रमण बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति को कई प्रकार से हानि पहुंचाते हैैं। कृमि मनुष्यों की आंतों के ऊतकों से आवश्यक पोषक पदार्थ भोजन के रूप में लेते हैं, जिससे बच्चों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इससे बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास पर खास असर पड़ता है। इससे खून की कमी, कुपोषण, वृद्धि में रुकावट हो सकती है। गोल कृमि आंत में विटामिन-ए को अवशोषित कर लेते हैं। तीव्र कृमि संक्रमण से बच्चे सामान्यतः बीमार या थके हुए रहते हैं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाते। इससे स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में भी कमी देखी गई है। कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण भविष्य में उनकी कार्यक्षमता में कमी आ सकती है।
कृमि संक्रमण से बचाव
स्वच्छता को बढ़ावा देकर कृमि संक्रमण से बचा सकता है। इसके लिए साफ़ शौचालय का उपयोग करें, बाहर शौच न करें। खाने से पहले और शौचालय के बाद अच्छी तरह हाथ धोएं। बाहर निकलने पर चप्पल और जूते पहने, स्वच्छ पानी से फल एवं सब्जियां धोएं और अच्छी तरह पका भोजन खाएं।
कृमि संक्रमण का उपचार
कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल बच्चों व वयस्कों, दोनों के लिए एक सुरक्षित दवाई है। इसका प्रयोग दुनिया भर में करोड़ों लोगों में कृमि संक्रमण का इलाज करने के लिए किया जाता है। अधिक कृमि संक्रमण वाले बच्चों में बच्चों में दवा के कुछ मामूली प्रभाव जैसे जी मिचलाना, उल्टी दस्त, पेट में हल्का दर्द और थकान की सम्भावना हो सकती है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है, यह आसानी से सम्हाला जा सकता है।

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