नई दिल्ली: मजबूत इरादों के सामने चुनौतियां भी हार मानने लगती हैं। झारखंड का धनंजय मांझी ने इसे साबित कर दिखाया है। धनंजय की पत्नी सोनी गर्भवती हैं और वह ग्वालियर आकर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन ( D.El.Ed) के द्वितीय वर्ष की परीक्षा देना चाहती थीं।
पति ने जब उनकी परेशानी समझी तो उन्हें परीक्षा दिलाने की ठानी, लेकिन इस बीच कोरोना के कारण परिवहन सुविधा बंद होने पर उसके लिए ग्वालियर पहुंचना मुश्किल था। लेकिन कहते हैं इरादा मजबूत हो तो सफलता भी मिल जाती है। धनंजय ने साढ़े 11 सौ किलोमीटर स्कूटी चलाकर पत्नी की इस इच्छा को पूरा कर दिखाया। धनंजय ने स्कूटी से ही पत्नी को झारखंड के गोंडा से मध्यप्रदेश के ग्वालियर तक का रास्ता तय कर डाला। उन्होंने बताया कि स्कूटी में दो हजार रुपये से ज्यादा का पेट्रोल खर्च हुआ।
धनंजय की पत्नी सोनी ग्वालियर के एक प्राइवेट कॉलेज से डीईएलडीएड कर रही है। वे सेकंड ईयर में हैं। सोनी को सात माह का गर्भ है। धनंजय रसोइया का काम करते हैं। वह चाहते हैं कि उनकी पत्नी पढ़े और सरकारी नौकरी पाने में कामयाब हो।
धनंजय ने बताया कि पत्नी को परीक्षा दिलानी थी, कोरोना के कारण परिवहन का कोई साधन नहीं मिला। बस वाले ने ग्वालियर तक के लिए प्रति सवारी 15 हजार रुपये मांगे। इतनी रकम उनके लिए दे पाना संभव नहीं था। इन स्थिति में उसने तय किया कि वह स्कूटी से ग्वालियर जाएंगे।
सोनी खुद पढ़ाई करके नौकरी करना चाहती है और धनंजय उसे पूरी मदद कर रहा है। धनंजय बताया कि वह खुद पढ़ नहीं पाया, इसलिए चाहता है कि पत्नी सोनी ही पढ़ाई कर नौकरी करे। यह परीक्षा पास करने के बाद सोनी को शिक्षिका की नौकरी मिल सकती है।
ग्वालियर में परीक्षा 12 सितंबर तक चलनी है। इसके लिए धनंजय ने एक कमरा किराए पर लिया है और उसकी पेशगी के तौर पर 15 सौ रुपये दिए हैं। धनंजय झारखंड के गोंडा जिले के टोला गांव का रहने वाला है, जो बांग्लादेश की सीमा पर है। धनंजय पत्नी को बिठाकर झारखंड से स्कूटी चलाते हुए बिहार, उत्तर प्रदेश के रास्तों से होता हुआ ग्वालियर पहुंचा। इस दौरान हालांकि उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।