भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाते हैं, जबकि पूरी दुनिया 5 अक्टूबर को इंटरनेशनल टीचर्स डे मनाती है, जानिए क्यों

भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों?

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने। तब तक वे देश के पहले उप-राष्ट्रपति बतौर काम कर रहे थे। उनके दोस्त और पूर्व छात्र 5 सितंबर को उनका जन्मदिन धूमधाम से मनाना चाहते थे। जब डॉ. राधाकृष्णन को यह पता चला तो उन्होंने कहा कि मेरा जन्मदिन मत मनाओ, बल्कि शिक्षकों का सम्मान करो। बस, यहीं से शिक्षक दिवस की शुरुआत हुई और 58 साल से भारत में टीचर्स डे मन रहा है।

टीचर्स डे मनाने का उद्देश्य क्या है?

डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ। वे एक नामी स्कॉलर, फिलॉसफर थे, जिन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनका कहना था कि सोसायटी को आकार देने, दिशा देने का काम एक शिक्षक ही करता है, लेकिन उस शिक्षक की अनदेखी भी होती है। ऐसे में उनके लिए भी एक दिन होना चाहिए, ताकि सोसायटी उनके योगदान को याद करें। उनका सम्मान करें।

दुनिया में 5 अक्टूबर को क्यों मनता है इंटरनेशनल टीचर्स डे?

1966 में 5 अक्टूबर को पहली बार शिक्षकों की भूमिका पर यूएन में चर्चा हुई थी। टीचर्स के अधिकारों और दायित्वों के मानक तय किए गए थे। शिक्षकों की शिक्षा, रोजगार, टीचिंग और लर्निंग की परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा हुई थीं। 1994 में यूनेस्को जब 21वीं सदी के लिए शिक्षा को लेकर अपने टारगेट फिक्स कर रहा था, तब उसे शिक्षकों के सम्मान में दिवस मनाने की जरूरत महसूस हुई। तब 5 अक्टूबर को याद किया गया और हर साल इंटरनेशनल टीचर्स डे मनाने की रूपरेखा तय हुई। 1997 में इसी तरह का एक प्रस्ताव कॉलेजों/यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले शिक्षकों को लेकर भी पारित हुआ।

कौन मनाता है वर्ल्ड टीचर्स डे?

हर साल इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ), यूनिसेफ और यूनेस्को मिलकर वर्ल्ड टीचर्स डे या इंटरनेशनल टीचर्स डे मनाते हैं। दरअसल, इस दिन दुनियाभर में टीचिंग प्रोफेशन को सेलिब्रेट किया जाता है। उनकी उपलब्धियों पर चर्चा होती है। कोई पीछे न छूट जाए, इस ग्लोबल एजुकेशन टारगेट को पूरा करने के लिए शिक्षक एक महत्वपूर्ण ताकत के तौर पर काम करते हैं। 2020 में वर्ल्ड टीचर्स डे की थीम है- ‘टीचर्सः लीडिंग इन क्राइसिस, रीइमेजनिंग द फ्यूचर’।

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