बाजार में कब तक आएगी कोरोना की वैक्सीन? WHO से जानें सबकुछ

दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले बढ़कर अब दो करोड़ 64 लाख से अधिक हो गए हैं, जबकि संक्रमण से अब तक आठ लाख 71 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर के लोग इस जानलेवा वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह बाजार में कब आएगी, इसको लेकर अभी भी कुछ साफ नहीं कहा जा रहा। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन को लेकर एक बयान दिया है, जो थोड़ी चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन को उम्मीद नहीं है कि अगले साल यानी साल 2021 तक भी कोरोना की वैक्सीन आ पाएगी और सुरक्षा के लिहाज से बड़े स्तर पर टीकाकरण हो सकेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस का कहना है कि अभी तक एडवांस क्लीनिकल स्टेज के किसी भी टीके के लिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वह पूरी तरह प्रभावी और सुरक्षित है, क्योकि किसी भी वैक्सीन ने अब तक 50 फीसदी भी प्रभावी होने के संकेत नहीं दिए हैं।

स्विट्जरलैंड के जेनेवा में एक ब्रीफिंग के दौरान मार्गरेट हैरिस ने कहा कि वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल लंबा होगा। इसमें हमें ये देखने की जरूरत है कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित है और वह कोरोना वायरस से लोगों को कितना बचा सकती है।

हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातें एक तरफ हैं, वहीं दूसरी तरफ रूस ने तो पिछले महीने ही वैक्सीन लॉन्च कर दी थी और अब तक तो वो कई लोगों को वैक्सीन की खुराक दे भी चुका है, जिसमें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बेटी भी शामिल हैं। हाल ही में पुतिन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के बाद भी उनकी बेटी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। हालांकि रूस ने वैक्सीन के ट्रायल से संबंधित डाटा साझा नहीं किया था, ऐसे में कई देशों ने वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं।

अक्तूबर या नवंबर में अमेरिका भी ला सकता है वैक्सीन

अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) ने जन स्वास्थ्य से जुड़ी एजेंसियों को बताया है कि वह अक्तूबर या नवंबर तक दो वैक्सीन तैयार कर सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है और उससे पहले वैज्ञानिकों पर वैक्सीन लाने का दबाव है, क्योंकि दुनिया में जितनी भी वैक्सीन बन रही हैं, फिलहाल उनमें से कुछ ही ट्रायल के तीसरे चरण में पहुंची हैं और वैज्ञानिकों का कहना है कि इस चरण में वैक्सीन की प्रभावशीलता को जांचने में समय लग सकता है।

 

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