रायपुर, 13 सितंबर 2020
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता लोकवाणी में कहा कि छत्तीसगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरह की उपज होती है और यदि उन पर ध्यान दिया जाए तो उनसे स्थानीय लोगों की जिन्दगी बदल सकती है। राज्य सरकार ने इसी दिशा में प्रयास शुरू किया है। अनाज के साथ फल, सब्जी, कॉफी, चाय आदि सब चीजों के उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रयास है कि विपणन की अच्छी व्यवस्था हो ताकि अधिक उत्पादन का लाभ मिले। श्री बघेल से जशपुर की सुश्री मधु तिर्की द्वारा जशपुर जिले में चाय बगान के विकास की योजना के संबंध प्रश्न पूछा था। श्री बघेल ने कहा कि पूर्व में निरस्त किए गए वन अधिकार पट्टों की समीक्षा करते हुए व्यक्तिगत पट्टे देने के कार्य में तेजी लायी गई है। वहीं दूसरी ओर सामुदायिक पट्टे में भी बहुत बड़े पैमाने पर जमीन आवंटित की जा रही है। साढे़ चार लाख से ज्यादा वन अधिकार पट्टे और लगभग 40 लाख एकड़ भूमि आवंटित करते हुए हम देश में प्रथम राज्य बन गए हैं। हमारा प्रयास है कि इस पहल का लाभ भी आदिवासी और परंपरागत वन निवासियों को नई तरह की लाभदायक खेती के रूप में मिले। अर्थात् जो तबका खेती से दूर था, उसका समावेश भी किया जा रहा है। पहले भी हमारी कर्ज माफी और अच्छे दाम दिलाने की पहल से लाखों किसान फिर से अपने गांवों और खेतों की ओर लौटे हैं। ये हमारे समावेशी विकास के प्रयासों की बड़ी सफलता है। कोरोना संकट काल में हमारे 7 लाख से अधिक मजदूर वापस लौटे हैं। उनमें से ज्यादातर को मनरेगा में काम मिला है। स्थानीय उद्योग-धंधों में भी रोजगार मिला है। हमारी कोशिश है कि उनकी स्किल मैपिंग व कौशल उन्नयन से राज्य में ही उनके लिए बेहतर काम जुटाए जाएं।