शारीरिक संबंध (Sexual Relation) बनाते समय कई बीमारियों का जोखिम रहता है, जिन्हें सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज या एसटीडी (STD) कहा जाता है. सेक्स करने, ओरल सेक्स करने और यहां तक कि एक-दूसरे के अंगों को छूने से भी यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) हो सकता है. ये बीमारियां महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से होती हैं. यही कारण है कि शारीरिक संबंध बनाने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि पार्टनर को किसी तरह की एसटीडी तो नहीं है. आमतौर पर होने वाली सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज के नाम हैं – जननांग दाद, गोनोरिया, क्लैमाइडिया, सिफलिस, एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, एचआईवी यानी ह्यून इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस. इनके लक्षण (Symptoms) भी अलग हैं.
से जुड़ी डॉ. मेधावी अग्रवाल के अनुसार, एसटीडी को ही गुप्त रोग कहा जाता है. ये बीमारियां कई रूपों में सामने आ सकती हैं जैसे- सेक्स के बाद त्वचा पर चकत्ते, सेक्स या पेशाब करने के दौरान दर्द होना, महिलाओं में योनि के आसपास खुजली होना, योनि से स्राव होना, पुरुषों में लिंग से स्राव होना. यदि किसी व्यक्ति को बिना कारण के थकान हो रही है, रात को ज्यादा पसीना आता है या अचानक वजन घटने लगा है तो भी यह एसटीडी का लक्षण हो सकता है. वहीं कई बार बिना किसी लक्षण के ये बीमारियां हो सकती हैं. इस तरह बिना किसी जानकारी के ये बीमारियां एक इन्सान से दूसरे में चली जाती हैं. यदि समय रहते इनका इलाज न किया जाए तो शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंच सकता है. खासतौर पर महिलाओं को इनका जोखिम अधिक होता है. एसटीडी के कारण महिलाओं में बांझपन, विभिन्न प्रकार के कैंसर हो सकते हैं. समय पर इलाज न मिले तो मृत्यु भी हो सकती है. कुछ एसटीडी में मरीज को तेज बुखार आता है.
कैसे होती है एसटीडी की जांच
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज या एसटीडी का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ जांच करवाते हैं. इनमें यूरिन और ब्लड की जांच शामिल होती है. अंदरूनी अंगों पर हुए घावों की ब्रश से सफाई कर डॉक्टर बीमारी का पता लगाता है. इसके अलावा मूत्र मार्ग और योनि से सैंपल लेकर भी जांच करवाई जाती है.
एसटीडी से बचाव के तरीके
सुरक्षित यौन संबंध इन बीमारियों से बचने के सबसे अच्छे तरीके हैं. कंडोम का ठीक से उपयोग कर एसटीडी के संचरण को कम किया जा सकता है. महिला कंडोम उतने असरदार नहीं हैं, लेकिन यदि पुरुष कंडोम का उपयोग नहीं कर रहा है तो महिला को जरूर करना चाहिए. से जुड़ी डॉ. मेधावी अग्रवाल के अनुसार, सबसे अच्छा तो यह होगा कि संबंध बनाने से पहले अपनी और अपने साथी की शारीरिक जांच करवा लें. सेक्स करते समय संयम बरतें और समय-समय पर यौन जांच करवाते रहें. सेक्स के बाद अंगों को साबुन से अच्छी तरह साफ करें. यदि संभव हो तो डॉक्टर की सलाह पर एचपीवी और हेपेटाइटिस का टीका जरूर लगवाएं. यदि किसी को लगता है कि उसके शरीर में एसटीडी के लक्षण हैं या वह एसटीडी के संपर्क में है, तो डॉक्टर को दिखाएं. संयम से रहें और स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएं
अस्वीकरण : इस लेख में दी गयी जानकारी कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों और उनके संभावित उपचार के संबंध में शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है। यह किसी योग्य और लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवा, जांच, निदान और इलाज का विकल्प नहीं है। यदि आप, आपका बच्चा या कोई करीबी ऐसी किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है, जिसके बारे में यहां बताया गया है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। यहां पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार के लिए बिना विशेषज्ञ की सलाह के ना करें।