नौ रत्नो मे ‘मोती’ रत्न की विशेषता

प्रिय पाठको,

“मेरे सभी मित्रों परिचितों एवं पाठकों को रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं”

रत्नों की श्रृंखला में आज हम आगे बढ़ते हुए चंद्रमा के प्रिय रत्न ‘मोती’ के बारे में जानेंगे।

चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है, मन की स्थिति चंद्रमा के ऊपर पूर्ण रूप से निर्भर करती है यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो वह व्यक्ति मानसिक अवसाद में रहता है। चंद्रमा पूर्ण रूप से स्त्री ग्रह है, चंद्रमा को माता का कारक ग्रह भी माना गया है, और यह स्त्रियों का भी कारक ग्रह होता है, यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या बुरी स्थिति में हो खराब स्थिति में हो तो माता को कष्ट बना रहता है तथा उस जातक का अन्य स्त्रियों से भी संबंध अच्छे नहीं रहते हैं।

शुक्ल पक्ष की पंचमी से लेकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक चंद्रमा को पक्ष बली माना जाता है यानि इस समय बली माना जाता है इस समय का चंद्रमा शुभ चंद्रमा कहलाता है, तथा इसके बाद का चंद्रमा अशुभ चंद्रमा की श्रेणी में आता है, ऐसा चंद्रमा जातक के लिए खराब माना जाता है।

चंद्रमा को सरकार का भी कारक माना गया है जहां सरकार में सूर्य को राजा की पदवी प्राप्त है वही चंद्रमा रानी का ताज पहन कर बैठा हुआ है खराब चंद्रमा कहीं ना कहीं सरकार से हानि का योग बनाता है चंद्रमा कुंडली में शुभ ग्रह माना गया है किंतु इसका पक्ष बली होना जरूरी होता है चंद्रमा सूर्य से निकट होने के कारण अस्त हो जाता है।

अगर कुंडली में चंद्रमा राहु केतु अथवा शनि के साथ बैठा हो तो यह मानसिक स्थिति को खराब करने के साथ-साथ माता को विभिन्न रूपों में कष्ट प्रदान करता है ऐसे जातक की माता को कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है तथा माता की भी मानसिक स्थिति खराब ही रहती है।

चंद्रमा डिप्रेशन का कारक है चंद्रमा के कमजोर होने पर व्यक्ति अथवा जातक डिप्रेशन में भी जा सकता है, शनि के साथ बैठा हुआ चंद्रमा अथवा किसी भी प्रकार का शनि से संबंध बनने पर व्यक्ति को विष दोष माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति जीवन पर्यंत तनाव में रहता है तथा उसको मानसिक शांति नहीं मिल पाती है।

राहु और केतु के कारण चंद्रमा को ग्रहण दोष भी लगता है ऐसा चंद्रमा पूर्ण रूप से खराब हो जाता है तथा इसके दोषों को दूर करना जरूरी हो जाता है अगर चंद्रमा पीड़ित होकर कहीं पर भी बैठा हो उस जातक को मानसिक अशांति अन्य स्त्रियों से कटुता तथा सरकार से हानि के साथ साथ माता को भिन्न रूपों में कष्ट की प्राप्ति होती है।

कई बार ऐसा भी देखा गया है की किसी व्यक्ति का अगर मन अशांत है अथवा उसे गुस्सा बहुत आता है तो कुछ विद्वान पुरोहित एवं ज्योतिष बिना कुंडली देखे उसे चंद्रमा का विशेष प्रिय रत्न मोती धारण करने की सलाह दे देते हैं जो कि एकदम गलत है अगर कुंडली में चंद्रमा मार्ग स्थिति में अथवा नीच राशि स्थित त्रिक भाव स्थित हो तो वह हमें खराब फल देने वाला माना जाता है ऐसे चंद्रमा का रत्न धारण करने से उसके बुरे प्रभाव में अत्यधिक मात्रा में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण मानसिक अवसाद का भयंकर रूप से सामना करना पड़ सकता है तथा और भी कई विपरीत परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

मोती रत्न धारण करने से पहले अपनी कुंडली में चंद्रमा की राशि स्थिति तथा भाव स्थिति का अध्ययन एवं चन्द्रमा कुंडली में कारक है अथवा मारक है, हमें कुंडली में किस प्रकार का फल देने वाला है इसका अध्ययन जरूर कर लेना चाहिए।

कुंडली में चंद्रमा के कारक होने पर उसका रत्न मोती धारण करना चाहिए जिससे उसके बल में वृद्धि होकर उसकी शुभता में और भी ज्यादा बढ़ोतरी हो जाए। ध्यान रहे रत्न हमेशा शुभ कारक फल कारक ग्रहों के ही पहनने चाहिए उसकी भाव स्थिति एवं राशि स्थिति का अध्ययन जरूर कर लेना चाहिए अन्यथा हमें उसके विपरीत परिणाम भी भोगने पड़ सकते हैं।

अगर आप भी अपनी कुंडली के बारे में जानना चाहते हैं तो मेरे नीचे दिये हुए नंबर पर संपर्क कर कुंडली से संबंधित समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Astro Raju chhabra(devendre singh)

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