पश्चिम बंगाल में सभी तरह के पटाखों पर बैन, कोर्ट ने नहीं दी विसर्जन के दौरान जुलूस निकालने की अनुमति

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर काली पूजा (Kali Puja 2020), जगद्धात्री पूजा और छठ पर पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया.

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. काली पूजा 15 नवम्बर को है. अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिबंध जगद्धात्री पूजा, छठ (Chhath puja 2020) और कार्तिक पूजा के दौरान भी लागू रहेगा

अदालत ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान लागू होने वाले दिशानिर्देश जैसे पंडालों में प्रवेश नहीं, काली पूजा के दौरान भी लागू होंगे. पीठ ने दुर्गा पूजा पर अदालत द्वारा निर्देशित दिशानिर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार की सराहना की.

अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि काली पूजा के दौरान मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाये. अदालत ने कहा कि 300 वर्ग मीटर तक के क्षेत्र में काली पूजा पंडालों में 15 लोगों की अनुमति होगी और बड़े पंडालों में 45 व्यक्तियों की अनुमति होगी. पीठ ने विसर्जन के दौरान जुलूस की भी अनुमति नहीं दी.

कोर्ट ने कहा कि काली पूजा और दीवाली (Diwali 2020) के त्यौहार के दौरान सैनिटाइजर और मास्क अनिवार्य हैं. सामाजिक दूरी मानदंड का पालन किया जाना चाहिए. काली पूजा मूर्ति विसर्जन के लिए साउंड और लाइट वाले किसी भी जुलूस की अनुमति नहीं होगी. विसर्जन के लिए घाटों पर सीमित संख्या में लोगों को ही अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा काली पूजा, जगधात्री पूजा और कार्तिक पूजा पंडाल भी आगंतुकों के लिए ‘नो-एंट्री’ जोन के रूप में घोषित किए गए.

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