दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश और सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में एक लंबी प्रक्रिया के बाद राष्ट्रपति का चुनाव खत्म हो गया है. अमेरिका को जो बाइडेन के रूप में 46वां राष्ट्रपति मिला है और साथ ही इतिहास में पहली बार एक महिला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मिली हैं. कांटेदार मुकाबले में जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को मात दी और जीत के बाद ऐलान किया कि वो अमेरिका को फिर से पटरी पर लाएंगे, पिछले कुछ वक्त में जो गहरी चोटें पहुंची हैं उनसे निकालने की कोशिश करेंगे. जो बाइडेन की जीत भले ही ऐतिहासिक हो लेकिन उनका सफर इतना आसान नहीं रहने वाला है, पिछले कुछ वक्त में अमेरिका में इतना कुछ बदला है जिसपर दुनिया की निगाहें हैं.
अमेरिकी मीडिया और एक्सपर्ट की मानें, तो एक वक्त में जहां अमेरिका को सुपरपावर माना जाता था और हर कोई एक इज्जत से अमेरिका को देखता था उस छवि को नुकसान पहुंचा है. जिसका बड़ा असर अमेरिका में पिछले कुछ वक्त से चल रही आंतरिक चुनौतियां हैं, क्योंकि कई देशों को ये लगने लगा है कि जब अमेरिका अपनी मुश्किलों से ही पार नहीं पा रहा है तो वो सुपरपावर कैसा. अब जो बाइडेन के सामने यही चुनौती है कि अमेरिका की छवि को कैसे सुधारा जाए.
जो बाइडेन को किन मोर्चों पर झेलने होगी परेशानी ?
कोरोना संकट – दुनिया में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस ने अपना रौद्र रूप अमेरिका में ही दिखाया है. करीब एक करोड़ लोग अमेरिका में इस वायरस से प्रभावित हैं और दो लाख से अधिक जान गंवा चुके हैं. बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कोरोना संकट से निपटने और नीतियां बनाने की काफी आलोचना की गई. अब जो बाइडेन प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी महामारी की है, क्योंकि अमेरिका में एक बार फिर कोरोना वेव चल पड़ी है और हर रोज एक लाख से अधिक केस सामने आ रहे हैं. बाइडेन ने ऐलान किया है कि शपथ लेने के बाद पहले ही दिन वो कोरोना को लेकर नई नीति का ऐलान करेंगे, तबतक मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.
अर्थव्यवस्था – कोरोना संकट के कारण दुनियाभर की इकोनॉमी को गहरी चोट लगी है, हर जगह मंदी के आसार हैं. करीब आठ महीने के कोरोना काल में अमेरिका में भी काफी नुकसान हुआ और करीब तीन करोड़ लोगों की नौकरी चली गई थी. धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलने के बाद लाखों लोगों को नौकरी मिली है, लेकिन वो स्थाई नहीं है और अभी भी लाखों लोग बिना नौकरी के ही घूम रहे हैं. ऐसे में बाइडेन प्रशासन के सामने एक बार फिर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती होगी. हालांकि, इसमें बाइडेन का पुराना अनुभव मदद कर सकता है क्योंकि 2009 की मंदी के वक्त बाइडेन ने ओबामा प्रशासन के वक्त कमेटी की कमान संभाली थी.