नौ रत्नो मे ‘मूँगा’ रत्न की विशेषता

प्रिय पाठको,

रत्नों की श्रृंखला में आज हम आगे बढ़ते हुए मंगल ग्रह के रत्न ‘मूँगा’ के बारे में जानेंगे।

मंगल एक साहसी ग्रह माना जाता है, लाल रक्त वर्णित रंग का मंगल ग्रह कुंडली में अथवा जातक के जीवन में अपना विशेष प्रभाव रखता है। नवग्रहों में मंगल को सेनापति की पदवी प्राप्त है। मंगल एक क्रूर ग्रह की श्रेणी में भी आता है, यह एक पुरुष ग्रह है, मंगल के अंदर अदम साहस पाया जाता है। मंगल मरने और मारने को हमेशा तैयार बैठा रहता है मंगल प्रधान व्यक्ति जिद्दी क्रोधी होने के साथ ही साथ बहुत ही ज्यादा साहसी भी होता है। ऐसा व्यक्ति काफी निडर होता है वह किसी से भी नहीं डरता। मंगल को भाई का कारक ग्रह भी माना जाता है, यदि यह लग्न में बैठ जाए तो व्यक्ति जल्दबाजी में गलत निर्णय तक ले लेता है, जिसके कारण से हानि उठानी पड़ती है। मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल को माना गया है।

दबाव बनाकर काम करवाना,  हर कार्य को जल्दबाजी में करना, तुरंत फैसले लेना और शरीर मे गजब की फुर्ती होना आदि मंगल से प्रभावित व्यक्ति के लक्षण हैं। मंगल से प्रभावित व्यक्ति कभी भी किसी से भी नहीं डरता ऐसा व्यक्ति हिंसा खून खराबा मारपीट तक उतर जाता है।

प्रबल मंगल ग्रह के कारण ही व्यक्ति के जीवन में मंगली दोष बनता है जो कि विवाहित जीवन के लिए अत्यंत ही खराब माना जाता है ऐसा व्यक्ति अपने जीवन साथी पर हिंसात्मक दबाव बनाता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन में कष्ट बना रहता है। द्वितीय भाव के स्वामी अथवा द्वितीय भाव में मंगल अपना विशेष प्रभाव बनाकर जातक के जीवनसाथी की आयु को कमजोर कर देता है जिसके कारण उसके जीवन में कई विवाह होते हैं।

सेना, युद्ध, पुलिस, हथियार, अग्नि से संबंधित कार्य, चौकीदारी, ऐसे तमाम कार्य जिसमे सिक्योरिटी से संबंधित व्यवस्था, विस्फोटक सामग्री संबंधित कार्य, आते है, इन सब पर मंगल ग्रह का प्रभाव माना गया है। इन तमाम फील्ड में मंगल की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है बिना शुभ मंगल के इन समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त नहीं हो सकती मंगल को मजबूत करने के लिए हमें उसका प्रिय रत्न मूंगा धारण करना चाहिए।

मंगल ग्रह से, जमीन संबंधित कार्य भी शामिल है, मंगल ग्रह युद्ध का कारक ग्रह है किसी भी राज्य अथवा देश में युद्ध की परिस्थितियों का निर्माण मंगल ग्रह की तत्कालिक या कुंडली मे स्थिति पर निर्भर करती है।

ऐसा कोई भी कार्य जिसमें साहस की जरूरत हो वह मंगल के बली तथा शुभ होने पर ही संभव हो पाता है मंगल व्यक्ति के जीवन में एनर्जी उत्पन्न करता है, किसी भी कार्य को अथवा व्यापार को करने के लिए जिस साहस की जरूरत होती है वह सिर्फ मंगल से ही प्राप्त होती है। इसके कारण व्यक्ति अपने जीवन में उन तमाम सुखों तथा पदों की प्राप्ति कर पाता है।

सिंह और कर्क लग्न की राशि में मंगल एक योगकारक ग्रह की श्रेणी में आता है इन लग्न वालों को योगकारक मंगल शुभ स्थिति में रहने से अत्यंत ही ऊंचाई तक पहुंचा देता है।अगर कुंडली में मंगल शुभ और योगकारक है तथा भाव स्थिति एवं राशि स्थिति भी अच्छी है, तो व्यक्ति को मंगल का प्रिय रत्न मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए ऐसे व्यक्ति को मंगल जीवन की तमाम ऊंचाई प्रदान करता है।

शुभ मंगल की स्थिति होने पर व्यक्ति सेना में अथवा पुलिस में अपनी सेवा प्रदान कर सकता है। इन विभागों में अपनी सेवा प्रदान करने की इच्छा को बलि करने के लिए मंगल का रत्न मूंगा धारण करना चाहिए, जिसके कारण मंगल से संबंधित कार्य क्षेत्रों में हमें सफलता प्राप्त होती है।

एक सफल डॉक्टर को सर्जन बनने के लिए बलशाली मंगल की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है, बिना शुभ मंगल के एक कुशल सर्जन बन पाना मुश्किल है। सूर्य के ऊपर में जब भी मंगल का प्रभाव पड़ता है तो ऐसा व्यक्ति एक सर्जन बनने की ओर अग्रसर होता है।

मंगल ग्रह हमें उत्साह और उमंग प्रदान करता है यही उमंग और उत्साह व्यक्ति को जीवन में ऊंचाई तक लेकर के जाता है जिस व्यक्ति के जीवन में उमंग और उत्साह ही ना हो वैसा व्यक्ति कभी भी ऊंचाई को प्राप्त नहीं कर सकता किसी भी व्यक्ति के जीवन में अपने साहस और पराक्रम के बलबूते पर उच्चता प्राप्त करना बिना शुभ मंगल के असंभव है।

हमें परिस्थितियों को ध्यान में रखें कुछ सावधानीपूर्वक दृष्टिगोचर करके मंगल के शुभ स्थिति को देख कर ही मूंगा धारण करना चाहिए नीच राशि स्थित तथा त्रिक भाव स्थित मंगल का रत्न मूंगा नहीं धारण करना चाहिए केवल एवं केवल शुभ मंगल का ही मंगल रत्न मूंगा धारण करना चाहिए।

 

 

 

Astro Raju chhabra(devendre singh)

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