नई दिल्ली: किसान आंदोलन अपने चरम पर हैं। लगातार 20 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे देश के कई राज्यों के किसानों ने आवागमन बाधित कर दिया है। ऐसे में अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया।किसान आंदोलन को लेकर बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानून, किसान आंदोलन और अन्य मसलों पर अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं। कोर्ट ये फैसला लेगी कि क्या बॉर्डर और हाईवे पर आंदोलन करना सही है या नहीं।
किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन
केंद्र की कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। यूपी, हरियाणा-पंजाब और राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों से दिल्ली पहुँचे किसान यहां सिंघु बॉर्डर समेत कई अन्य रास्तों पर बैठे हुए हैं। जिससे आवागमन ठप हो गया है।
किसान आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में आज किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इनमें दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ इकट्ठा करने, कोरोना वायरस के संकट को लेकर याचिका लगाई गई है। इसके अलावा किसान आंदोलन में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों की मांग मानने की अपील की गई है। बता दें कि चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी।
किसान संगठन अड़े, बोले कृषि कानून में संशोधन स्वीकार्य नहीं, रद्द हो
बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार को लिखित में जवाब दिया गया है. किसान मोर्चा ने सरकार से अपील की है कि वो उनके आंदोलन को बदनाम ना करें और अगर बात करनी है तो सभी किसानों से एक साथ बात करें।