वैश्विक महामारी के बीच एक शब्द एंटीबायोटिक बहुत चर्चा में रहा है। भारत में एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन करने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में एंटीबायोटिक का सेवन हर दशक में 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। शरीर का जरा से तापमान बढ़ा या सर्दी-जुकाम हुआ, तो लोग फटाक से इन दवाओं का सेवन कर लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये दवाएं आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल पूरी दुनिया में बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
बुधवार को जारी विश्व एंटीबायोटिक्स 2021 की रिपोर्ट में के अनुसार, पिछले एक दशक के दौरान भारत में एंटीबायोटिक्स के सेवन करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। एंटीबायोटिक्स का सेवन प्रति व्यक्ति 30 प्रतिशत तक बढ़ा है। रिपोर्ट में एंटीबायोटिक्स के सेवन का प्रचलन बढ़ने को लेकर चिंता जताई गई है।
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर डिसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीईईपी) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2010 से 2020 के बीच एंटीबायोटिक्स के कुल उपयोग में 48 प्रतिशत (47.40%) बढ़ गया है। विश्व स्तर और भारत में पशु स्वास्थ्य क्षेत्र में रोगाणुरोधी के उपयोग में व्यापक वृद्धि चिंता का सबसे प्रमुख कारण है।
हाल ही में एक रिसर्च का खुलासा हुआ कि जन्म के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक देने पर नवजात का विकास प्रभावित हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, जन्म के 14 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक उपचार का संबंध छह साल की उम्र तक लड़कों के कद और वजन में कमी कर सकता है। जबकि खास बात यह है कि लड़कियों पर उसके कोई नकारात्मक असर सामने नहीं आए।