रायपुर : दिमागी बीमारी से 20 वर्षों से जूझ रही 72 वर्षीया महिला का पंचकर्म विधि से इलाज कर सेहत में सुधार लाने में शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के डॉक्टरों की टीम को सफलता मिली है। हाई ब्लड प्रेशर की शिकार महिला की दिमाग का नस फटने से कई तरह के रोगों से ग्रसित हो गई थी, जिसका इलाज डॉक्टरों की टीम ने 20 दिनों में कर बीमारी से 60 फीसदी बीमारी से राहत मिलने लगी है। डॉक्टरों का कहना है द्वितीय चरण में मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर वापस घर जाएगी। दो दशक से बीमार महिला की हालत मानसिक तनाव के कारण बौखला गई थी जिससे उनकी आंखों के सामने दिन में तारे दिखते थे। असल जिंदगी में “दिन में तारे दिखाई देना” का मतलब दिमाग में भारी दबाव की वजह से होश ठिकाने पर नहीं रहता है। मरीज की हालत अजीबों गरीब बनी रहती थी। आंखों के आगे अंधेरा होना, चक्कर आना, बाहरी दृश्य हिलते हुए, घूमते हुए या उल्टे सीधे नजर आने लगते हैं।
ऑपरेशन के बाद बढ़ने लगी थी और परेशानियां –
मूलत: भोपाल के बीएचईएल एरिया में अवधपुरी निवासी रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर सीपी शुक्ला की पत्नी श्रीमती चम्पा देवी शुक्ला उम्र के 50 वर्ष के बाद कई तरह की बीमारियों से पीडि़त थी। चंपा देवी के छोटा बेटा हितेंद्र शुक्ला ने बताया, हाई ब्लड प्रेशर से दिमाग की नस फटने से खून का थक्का सिर में जम गया था जिससे नसों में खून की सप्लाई नहीं पहुंचने पर दिमाग की नसें शिथिल पड़ गई थी। इसलिए मरीज के आंखों के सामने अचानक अंधेरा छा जाता था। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से कानों से सुनाई नहीं देता था। हितेंद्र ने बताया, मां की तबीयत बिगड़ने पर वर्ष 1999 में भोपाल के कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल में सिर का ऑपरेशन कराया था। ऑपरेशन के बाद सिर में दर्द की शिकायत बढ़ने लगी। मरीज को सिर के अंदर में खुजलियां, सिर के अंदर कुछ बहने का एहसास और रात में बार-बार चक्कर आने के साथ उल्टी भी होती थी। ज्यादा परेशानी बढने के बाद वर्ष 2001 में न्यूरोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट के पास नागपुर ले गए। जहां सीटी स्केन और एम.आर.आई मशीन से जांच के बाद डॉक्टर ने इलाज किया। वहीं होम्योपैथी पद्वति की दवाएं और कई तरह के देशी और घरेलू नुस्खे आजमाएं पर सेहत में सुधार नहीं हुआ।
250 तक पहुंच गया था हाई ब्लेड प्रेशर –
हितेंद्र ने बताया पिछले साल अचानक हाई ब्लड प्रेशर बढ़कर 200-250 के करीब पहुंच गया था, ऐसे हालत में मरीज को भोपाल एम्स अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया दिमाग के अंदर नस से बाहर खून फैला हुआ था । वहीं कुछ दिनों तक रायपुर एम्स में भी इलाज के लिए ले गए पर डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। लगातार 20 सालों से चल रहे इलाज में लाखों रुपए खर्च भी किए। चम्पा देवी को अब किसी भी इलाज पर भरोसा नहीं रहा। चंपा देवी का बड़ा बेटा राजेंद्र कुमार शुक्ला जो महासमुंद जिला में पीएचई विभाग में कार्यपालन अभियंता के पद पर कार्यरत है और आयुर्वेद से संबंधित किताबों का अध्ययन भी करते हैं उन्हें आयुर्वेद से उम्मीद की आस थी।
वात दोष की वजह से बढा था ब्लड प्रेशर-
शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चिकित्सालय रायपुर में पंचकर्म विभाग के एचओडी डा. रंजीप कुमार दास का कहना है शरीर में तीन प्रकार के दोष वात, पित्त और कफ होते हैं। इनमें मुख्य दोष वात होता है, जो बाकी दोनों दोषों को नियन्त्रण करता है। चम्पा देवी शुक्ला की केस में वात दोष काफी बढ़ गया था, इसके साथ-साथ पित्त दोष भी बढा, जिसके कारण रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढने से मस्तिष्क की नस फट कर खून का थक्का सिर में जमा हो कर तथा वहाँ फैल कर कई तरह की समस्याओं को जन्म दे रहा था। आयुर्वेद की दवा और पंचकर्म की विधाओं से 20 दिन चले इलाज से औषधियों ने असर दिखाना शुरु किया जिससे मरीज की हालत में सुधार आने लगा। आयुर्वेद के जड़ी बूटी की इलाज से 10 दिन में ही असर दिखने लगा था जब पिछले साल ब्लड प्रेशर लेवल 200-250 से ऊपर चला गया था, वह धीरे-धीरे 110/70 पर आ गया है। जबकि भर्ती करने के वक्त मरीज के शरीर में 150/90 ब्लड प्रेशर का स्तर था ।
ऐसे किया पंचकर्म पद्वति से इलाज-
पंचकर्म विभाग के चिकित्सकों ने आयुर्वेद के संहिता में ऋषि मुनियों ने प्रयोगों पर आधारित सदियों पुरानी ग्रंथों में लिखी विभिन्न औषधिय से तेल मालिश, औषधि काढा और भाप से सिकाई, मेध्य काढा से शिरोधारा, औषधीय तेल से नस्य कर्म तथा अनुवासन वस्ति आदि पंचकर्म पद्वति से 20 दिनों तक नियमित इलाज चला । मरीज के लिए संजीवनी साबित होते गई औषधियों से चिंता और अवसाद से मुक्त होने लगी। इससे ब्लड प्रेशर लेवल में सुधार आने से सेहत ठीक होने लगा। साथ ही अच्छी दवाएं भी चल रही थी जिस से उनकी चक्कर ठीक हो गया, धीरे-धीरे उनको अब सुनाई देने लगा। शिरोधारा के प्रभाव से दिमाग़ को राहत मिलते ही सरदर्द में कमी और मरीज को अच्छी नींद भी आने लगी। जिससे शरीर में होने वाले दर्द में कमी होने से उल्टी भी बन्द हो गया।