विश्व श्रवण दिवस पर दिव्यांशु व निशा के कानों में लगाया गया श्रवण-संबंधी उपकरण

बेमेतरा, 03 मार्च 2021। राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीडी ) के अंतर्गत आज जिला अस्पताल के ईएनटी विभाग में विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस वर्ष 3 मार्च विश्व श्रवण दिवस-2021 की थीम“ हिअरिंग केयर फॉर ऑल–जाँच, पुनर्वासऔर संवाद” पर आधारित है। जिला अस्पताल में 3 मार्च से 10 मार्च तक आयोजित होने वाले, स्वास्थ्य जागरुकता शिविर में समाज कल्याण विभाग से समन्वय कर 5 वर्ष के दो बच्चों दिव्यांशु साहू व निशा पुरैना को श्रवण-संबंधी उपकरण का वितरण किया गया। इस अवसर पर ऑडियोलॉजी विभाग से ऑडियोलॉजिस्ट गुलनाज खान व ऑडियोमेट्रिक सहायक गौरव साहू के द्वारा बच्चों को श्रवण-संबंधी उपकरण लगाया गया। जिला चिकित्सालय के ऑडियोलॉजी विभाग में स्पीच थैरेपी के लिए तीन माह के कोर्स में अब बच्चों का इलाज करते हुए उनको सुनना और बोलना सिखाया जाएगा। इस जागरुकता सप्ताह के दौरान सभी सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पताल में लोगों को कर्ण रोग के बारे में लोगों को जानकारियां भी दी जा रही है।
हितग्राही बच्चों की मां बोली- स्पीच थैरेपी से 5 साल बाद अब मां शब्द सुन सकेंगी
बेमेतरा जिला के ग्राम छाती निवासी 5 वर्षीय दिव्यांशु साहू पीड़ित की मां श्रीमती ऊषा साहू ने कहा कि आज से उनके बेटे को सुनने के लिए मशीन लगाई गई है। इससे वह आज काफी खुश हैं। ऊषा बताती हैं “दिव्यांशु को सुनने में परेशानी होने का अहसास 5 माह की उम्र में लगा। वह बचपन में खिलौनों की आवाज नहीं सुन सकता था। जोर से दरवाजा व अलमारी की आवाज ही सुन पाता था। इसके बाद डेढ साल की उम्र में रायपुर के एक अस्पताल में जांच कराने पर जानकारी हुई कि वह सिर्फ इशारे को समझता है और बच्चे को सुनने में परेशानी हो रही थी। डॉक्टरों की सलाह पर बच्चे के कान में मशीन व ऑपरेशन की सलाह दी गई थी। जिला अस्पताल में अब मशीन लगने के साथ स्पीच थैरेपी मिलने से उनका बेटा अब बोलने भी लगेगा।
इसी तरह निशा पुरैना की मां पिंकी पुरैना ग्राम छितापार निवासी बताती हैं कि डेढ साल की उम्र में उनकों पता चला कि बेटी सिर्फ रोती है चिल्लाती है। कुछ बोल नहीं पाती और सुनने में भी परेशानी होती है। वह इशारे से बात करती है। निशा को स्कूल में भर्ती कराने के लिए सर्टिफिकेट बनाने व जिला अस्पताल पहुंची तो शिविर की जानकारी मिली। जहां बच्चे को मशीन लगाया गया और स्पीच थेरैपी देने के लिए अस्पताल के ऑडियोलॉजिस्ट ने कहा है। पिंकी कहती है कि बेटी निशा को वह दिव्यांग बच्चों के स्कूल भेजना चाहती है। ताकि उसका भविष्य सुधर सके।
कान की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना जरुरी-
सीएमएचओ डॉ. एसके शर्मा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा,“कान की सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि लोग अपने कान की सुरक्षा का ध्यान नहीं रख रहे हैं। मोबाइल के हेडफोन, ब्लूटुथ ने कान को काफी प्रभावित किया है। अनेक लोग कान में भनभनाहट, दर्द, खुजली, कान का बहना जैसी शिकायत करते हैं।उन्होंने बताया,जिले के सरकारी अस्पताल में कान की जांच व इलाज की व्यवस्था है”।
एनपीपीसीडी के नोडल अधिकारी डॉ. बुद्धेश्वर वर्मा ने बताया, “कान के अंदर का प्राकृतिक पर्दा बहुत ही संवेदनशील होता है। ट्रैफिक के दौरान प्रेशर हार्न से वहां के आसपास के लोगों का कान प्रभावित होता है। ध्वनि प्रदूषण आज हर स्तर से बढ़ता जा रहा है। युवा वर्ग घंटों तक कान में ईयर फोन लगाए रखते हैं। उससे आगे निकलकर ईयर ब्लू टुथ का इस्तेमाल हो रहा है। इन सबसे इंसान के कान पर काफी असर पड़ता है”।
अनुवांशिक अथवा बहरापन से बचने के लिए समय रहते उपचार किया जाना आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे अनुसार भारत में लगभग 6.3करोड़ लोग बधिरता रोग से पीड़ित है। देश की कुल जनसंख्या के अनुरुप प्रभावित दर 6.3 प्रतिशत है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संख्या के सर्वे 2001 के अनुसार प्रति लाख आबादी पर 291 व्यक्ति ऐसे है जो कि बधिरता रोग से पीड़ित है जिसमें शून्य से 14 बच्चे अधिक प्रभावित हैं।इनमें 7.6 प्रतिशत व्यस्क तथा 2 प्रतिशत बच्चे बहरेपन के शिकार हैं।
इन लक्षणों को समझकर करवाएं इलाज
• सुनने में आ रही कठिनाई
• कान में बार-बार भनभनाहट
• अक्सर कान में दर्द रहना
• कई बार कान का बहना
• शोर में बात को समझने में कठिनाई
इस बात का भी रखें ध्यानन
• गर्भावस्था में चिकित्सक की सलाह के बिना दवा लेने से नवजात बच्चों में श्रवण दोष हो सकता है
• गलसुआ और खसरा जैसे रोग बच्चों में बहरापन का कारण बन सकते हैं।
• अप्रशिक्षित व्यक्तियों अथवा सड़क के किनारे नीम-हकीम से कान साफ कराने से बचें
• कान से रिसाव या रक्त या बार-बार दर्द का होना गंभीर है, चिकित्सीय सलाह लें
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