रायपुर : विश्व बधिर दिवस के अवसर पर जन जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से ज़िला चिकित्सालय रायपुर मे संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा जिसका उद्देश्य बधिर लोगों की समस्याओं के प्रति लोगों को जनजागरुक करना है ।
विश्व बधिर दिवस प्रत्येक वर्ष सितंबर के अंतिम रविवार को मनाया जाता है साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि लोगों में जन जागरूकता पैदा करने का प्रयास करता है किस प्रकार बधिर समाज में अपना योगदान देकर देश की वृद्धि में सहायक होता है| सितंबर 1951 में इटली के प्रसिद्ध शहर रोम में विश्व बधिर संघ की स्थापना कि गई थी | यह अंतरराष्ट्रीय संघ है जिसने विश्व बधिर दिवस की शुरुआत की ।संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहचाना जाता है एवं उसकी इकाइयों के साथ कार्य करके यू एन चार्टर के अनूरूप बधिर व्यक्तियों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है|
विश्व बधिर दिवस की जानकारी देते डॉ.रवि तिवारी सिविल सर्जन ज़िला चिकित्सालय रायपुर ने बताया बधिर व्यक्ति साधारण व्यक्ति से कई मायनों में ज़्यादा प्रतिभावान होता है। विश्व बधिर दिवस इसी बात को बल देने के लिए मनाया जाता है। बधिरों में स्वस्थ जीवन, स्वाभिमान, गरिमा जैसी भावनाओं को बल मिले। बधिर होना कोई अपांगता या कमज़ोरी नही है। ब्लकि सुनने की क्षमता में कमी वाले लोग सही क्षमता वालों से ज़्यादा बुद्धिमान होते है केवल अंतर इतना है कि इन लोगों के संचार का मIध्यम अलग होता है।
चिकित्स्कों के अनुसार माता-पिता व रिश्तेदारों में किसी की श्रवण शक्ति कम होने से संबंधित समस्या को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। नवजात शिशु को हियरिंग की प्रॉब्लम है तो तुरंत नजदीक के चिकित्सालय में चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए देश की एक बड़ी आबादी बहरेपन की समस्या से परेशान है एक अनुमान के मुताबिक 5 फ़ीसदी आबादी ऐसी है जो सुनने से लाचार है । समय से रोग की पहचान और बहरेपन का इलाज जरूरी है ।