कुपोषण को दूर करने और वनवासियों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए की जा रही विशेष पहल

रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होने वाले वनोपज से उत्पाद तैयार कर कुपोषण को दूर करने और वनवासियों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए विशेष पहल कर रही हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल के मार्गदर्शन में वन मंत्री श्री मो. अकबर ने छत्तीसगढ़ में उपलब्ध वन संसाधन को ध्यान रखते हुए उत्कृष्ट लघु वनोपज प्रसंस्करण समुदाय को स्थापित करने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए है।
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थानीय रूप से उपलब्ध होने वाले लघु वनोपजों के माध्यम से कुपोषण को दूर करने के लिए उत्पादों का निर्माण किए जाने के साथ-साथ वनौषधि निर्माण में भी वृहद स्तर पर कार्य किए जाने के लिए योजना बनायी गई है। इससे स्थानीय वनवासियों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। लघु वनोपजों के संग्रहण एवं प्रारंभिक प्रसंस्करण के लिए प्रदेश में 901 स्थानों पर भण्डारण एवं वर्कशेड का निर्माण किए जाने की योजना है, साथ ही स्थानीय हाट बाजारों में भी वनोपज संग्रहण किया जाएगा। प्रथम चरण में बस्तर संभाग में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 200 भण्डारण केन्द्रों के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इन केन्द्रों पर महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वनोपज का संग्रहण एवं प्रारंभिक प्रसंस्करण का काम किया जाएगा। जिला और राज्य स्तर पर औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी। इससे राज्य के लघु वनोपज के उत्पादों का सही मूल्य वनवासियों को मिलेगा और उनके आय में वृद्धि की जा सकेंगी।
अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी द्वारा देश में विभिन्न स्थानों पर संचालित लघु वनोपज आधारित उद्योगों की गतिविधियों का अध्ययन कर इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुवेर्दी द्वारा मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित विंध्य हर्बल्स, भोपाल का निरीक्षण किया गया था। विंध्य हर्बल्स द्वारा लघु वनोपज आधारित औषधि प्रसंस्करण का कार्य किया जाता है। वनों से प्राप्त होने वाले औषधीय पौधों का संरक्षण एवं लघु वनों का संग्रहण, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन एवं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उक्त कार्य के सफल क्रियान्वयन का अवलोकन किया गया।
25 से 27 सितम्बर 2019 तक अध्ययन दल के अधिकारियों द्वारा मैसूर प्रवास पर केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान ;ब्थ्ज्त्प्द्ध का निरीक्षण किया गया। संस्था के वैज्ञानिक श्री सत्येन्द्र राव बी.व्ही से छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली लघु वनोपज महुआ, अमचूर, इमली, बैचांदी, तिखूर, चिरौंजी आदि पौष्टिक खाद्य के उपयोग के संबंध में चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा कुपोषण को दूर करने हेतु ग्रामीण एवं वनांचल क्षेत्र में छात्रों, महिलाओं को वनोपज आधारित आहार उपलब्ध कराने की दिशा में अध्ययन किया गया है।
26 सितम्बर 2019 को केरल राज्य के त्रिशूर में फार्मास्युटिकल काॅरपोरेशन संस्था की गतिविधियों का अवलोकन किया। इस संस्था द्वारा लगभग प्रतिवर्ष 75 करोड़ रूपए की कच्ची सामग्री जीरा, इलायची औषधीय पौधे किसानों से क्रय किया जाकर दवाई तैयार की जा रही है। पंचकर्म औषधि को भी इस संस्था द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस संस्था द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य से भी राष्ट्रीयकृत लघु वनोपज को व्यापारी से क्रय किया जा रहा है।

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