संभावित तीसरी लहर में कोरोना संक्रमितों को ऑक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए एम्स में वातावरण से वायु लेकर उसे ऑक्सीजन में परिवर्तित करने वाला प्रेशर स्विंग एब्जोपर्शन (पीएसए) आक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है। प्रति मिनट एक हजार लीटर ऑक्सीजन बनाने की क्षमता वाला यह प्लांट आपातकाल में अपनी उपयोगिता सिद्ध करेगा। हवा से ऑक्सीजन बनाने के बाद इसे पाइपलाइन के माध्यम से अस्पताल के विभिन्न वार्डों तक पहुंचाया जाएगा जिससे जरूरतमंद मरीज को मदद मिल पाएगी। इसके पूर्व यहां एम्स में 30 हजार लीटर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट स्थापित है। यह अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई का प्राथमिक स्त्रोत है। इसके अलावा 98 सिलेंडर की अतिरिक्त व्यवस्था भी है जो द्वितीयक स्त्रोत के रूप में ऑक्सीजन सप्लाई का काम करते हैं।
तीसरे विकल्प के रूप में पीएसए प्लांट स्थापित किया गया है। निदेशक डॉ. नितिन एम. नागरकर ने बताया कि यह प्लांट डीआरडीओ और एनएचएआई के संयुक्त प्रयासों से स्थापित किया गया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमितों को बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही थी। इस दौरान एम्स में प्रति मिनट पांच हजार लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ी थी। माना जा रहा है कि स्थापित नया पीएसए प्लांट ऐसे आपातकाल में अपनी उपयोगिता साबित करेगा। दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में स्थापित सबसे अधिक क्षमता का पीएसए प्लांट है। 30 हेमिल्टन वेंटिलेटर भी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए 30 हेमिल्टन के अत्याधुनिक वेंटिलेटर को भी कार्यशील कर दिया गया है। इन वेंटिलेटर को मिलाकर एम्स की कुल क्षमता 155 हो गई है। इसका उपयोग कोविड के साथ नॉन कोविड मरीजों के लिए भी किया जाएगा। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर गंभीर मरीजों का इलाज एम्स में किया गया था।