नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए बुधवार को पात्र महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश के लिए पांच सितंबर को होने वाली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी. साथ ही न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को इस आदेश के मद्देनजर एक उपयुक्त अधिसूचना जारी करने और इसका उचित प्रचार करने का भी निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने, हालांकि कहा कि परीक्षा का परिणाम याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा. जज जस्टिस संजय किशन कौल और जज जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कुश कालरा की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया. इस याचिका में संबंधित अधिकारियों को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा’ में योग्य महिला उम्मीदवारों को शामिल होने और NDA में प्रशिक्षण की अनुमति देने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
उधर, मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि महिलाओं के अकादमी में आने से उन्हें नए इन्फ्रास्ट्रक्चर और अलग फिजिकल ट्रेनिंग स्टैंडर्ड की जरूरत होगी. 1997-99 के दौरान एनडीए कमांडेंट के रूप में सेवा दे चुके पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि ‘एनडीए कभी भी महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए नहीं थी. महिलाओं के लिए अलग आवास के साथ एक अलग स्क्वाड्रन जैसे व्यावहारिक मुद्दों को हल करने के लिए नया बुनियादी ढांचा बनाना होगा.’ प्रकाश ने कहा कि महिलाओं के लिए प्रशिक्षण मानकों को भी फिर से बनाना होगा.
एनडीए में शामिल होने के बाद, कैडेट्स को 18 स्क्वाड्रन्स में से एक को सौंपा जाता है जो पांच बटालियनों का हिस्सा बनते हैं. हर स्क्वाड्रन में अकादमी में सीनियर और जूनियर कोर्स ट्रेनिंग में 100 से 120 कैडेट होते हैं.
यह भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़- सैन्य अधिकारी
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर एक सैन्य अधिकारी ने कहा- ‘मुझे लगता है कि शुरुआती परेशानियों से बचने के लिए एनडीए को अपनी तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. टीमों को चेन्नई में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी, डुंडीगल में वायु सेना अकादमी और एझिमाला में भारतीय नौसेना अकादमी में उनके मॉडल समझने के लिए भेजा जाना चाहिए क्योंकि वे सालों से महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं. एनडीए में महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. चीजों को ठीक करना महत्वपूर्ण है.’
हालांकि कुछ लोगों को इन फैसलों से निराशा हुई है. रिपोर्ट के अनुसार एक पूर्व वरिष्ठ कमांडर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा ‘सशस्त्र बल राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल हैं. इन्हें सामाजिक प्रयोगों के लिए प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल नहीं किए जा सकता. वे संसद और न्यायपालिका में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व पर जोर क्यों नहीं देते? वे सशस्त्र बलों के साथ अन्याय कर रहे हैं.’