राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के राजनांदगांव (Rajnandgaon) जिले और इसके सुदूर इलाकों में इन दिनों शाम ढलते ही सीटियों की आवाजें आने लगती हैं. ये सीटियां लोगों को बताती हैं कि मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इसलिए मलेरिया और डेंगू से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें. लापरवाही बिल्कुल न बरतें.
जिला कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने बताया कि हेल्थ वर्कर जिले के सूदूर इलाकों में जाकर लोगों को मलेरिया से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं. उन्हें मच्छरदानी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित कर रही हैं. गौरतलब है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. मिथिलेश चौधरी के नेतृत्व में राजनांदगांव जिले के विकासखंड व ग्राम स्तर पर मलेरिया एवं डेंगू उन्मूलन के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. यहां लोगों की मलेरिया-डेंगू की टेस्टिंग के साथ-साथ मच्छरदानी भी बांटी जा रही है. हेल्थ वर्कर शाम को सीटी बजाकर लोगों को जागरुक कर रही हैं.
इन जिलों और विकासखंडों पर ज्यादा फोकस
जानकारी के मुताबिक, इस अभियान को मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान कहा जा रहा है. इसके तहत सर्वे टीम मानपुर, मोहला, खैरागढ़, छुईखदान, छुरिया तथा डोंगरगढ विकासखंडों के 199 संवेदनशील गांव और महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के सीमा क्षेत्र के सभी गांव, सीआरपीएफ, आईटीबीपी कैम्प, पुलिस चौकी एवं अन्य स्थानों पर मलेरिया का पता लगा रही है. अति संवेदनशील 151 गांवों में DDT पावडर का छिड़काव भी किया जा रहा है
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर (Bilaspur) के व्यवसायी अंचल और उनकी पत्नी आशु को एक बड़ी राहत मिली है. दुर्लभ बीमारी से ग्रसित उनके छह महीने के बेटे आयांश को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. क्योंकि उसकी बीमारी के इलाज के लिए लगने वाला 16 करोड़ रुपयों की कीमत वाला इंजेक्शन उन्हें मुफ्त में मिलने जा रहा है. स्विट्जरलैंड की नोवार्टिस (Novartis) कंपनी की ओर से आयोजित लॉटरी सिस्टम में आयांश का नाम आया है.
अब एसएमए (SMA) यानी स्पाइनल मस्कुलर एस्ट्रोफी (spinal muscular atrophy) से ग्रसित अयांश को बेंगलुरु के एक अस्पताल में 16 करोड़ रुपए की कीमत वाला यह इंजेक्शन लगेगा, लेकिन फिलहाल आयांश के इलाज में एक रोड़ा है. वर्तमान में आयांश निमोनिया से ग्रसित है. एसएमए के लिए इंजेक्शन लगने में निमोनिया बड़ा रोड़ा है, लेकिन निमोनिया ठीक होने के बाद मासूम को इंजेक्शन लगाया जाएगा. आयांश बचपन से ही इस दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है.