निपाह वायरस क्‍या है और इससे क्‍यों दहशत में है लोग जानिए

कोच्चि . केरल (Kerala) के कोझिकोड में निपाह वायरस (nipah virus) के कारण 12 साल के बच्‍चे की मौत के बाद दहशत का माहौल है. स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी और प्रदेश सरकार इस वायरस से निपटने के लिए तमाम प्रबंध कर रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि निपाह वायरस की दवा ऑस्‍ट्रेलिया से मंगवाई जा रही है और ICMR ने ताजा स्टॉक लाने का वादा किया है. हालांकि इस मोनोक्‍लोनल एंटीबॉडी (Antibody Monoclonal drug cocktail) पर अभी ट्रायल चल रहे हैं.

स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों ने बताया कि निपाह वायरस के खिलाफ कोई टीका नहीं है. इससे बचने के लिए सारे उपाय मालूम होना चाहिए, सभी को संक्रमण के घातक परिणामों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. निपाह वायरस से जानवरों और इंसानों दोनों को खतरा है. इसे पहली बार 1998 में मलेशिया में पहचाना गया था. विशेषज्ञों के अनुसार निपाह वायरस एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन यह हवा से नहीं फैलता. यह बीमारी संपर्क में आने पर ही जानवरों से इंसानों को होती है, इसके बाद जानवर और इंसानों की मौत तक हो सकती है. इससे मृत्‍यु दर 70 फीसदी है.

वायरस से बचने के लिए जरूरी है कि
निपाह वायरस से बचने के लिए जरूरी है कि दूषित खाद्य पदार्थों, चमगादड़ या सूअर से दूरी रखी जाए. इनके सेवन से निपाह वायरस की चपेट में आने का खतरा है. निपाह वायरस के रोगी से भी लोगों को संक्रमण हो सकता है. निपाह वायरस के कारण रोगी में बुखार, खांसी, गले में खराश, दर्द और थकान सहित श्वसन संबंधी लक्षण, और इन्सेफेलाइटिस के लक्षण देखे जा सकते हैं

केरल में निपाह की दस्‍तक पहले भी हुई थी
केरल राज्‍य में पहला मामला 2 मई, 2018 को दर्ज किया गया था, इससे 17 लोगों की जान ले ली थी. लेकिन 10 जून 2018 में इस प्रकोप को नियंत्रित और घोषित किया गया था. यह भारत में तीसरा प्रकोप था, सबसे पहले 2001 में निपाह वायरस से 45 मौतें हुईं थीं. वहीं दूसरा प्रकोप पश्चिम बंगाल में 2007 देखा गया था इसमें 5 लोगों की मौतें हुईं थीं. एर्नाकुलम में 4 जून 2019 में इस वायरस के पाजीटिव आने वाले 23 साल के छात्र को बचा लिया गया था और इससे किसी भी संक्रमण को रोक लिया गया था. अब केरल के कोझीकोड में 1 सितंबर में निपाह के लक्षणों के साथ अस्‍पताल में भर्ती 12 साल के लड़के की मौत होने से और परोक्ष रूप से संपर्क में आए 257 लोगों की सूची तैयार की गई है. इनमें से 141 स्वास्थ्यकर्मी हैं और उनमें से किसी में भी कोई गंभीर लक्षण नहीं हैं. इन पर निगरानी रखी जा रही है.

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