तालिबान को पालने पर US ने लगाई पाक की क्लास, भारत को मिली वाहवाही

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से खुशी मनाते पाकिस्तान को अब अमेरिका ने चेतावनी दे दी है। अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान से उसके रिश्ते इस बात पर निर्भर करेंगे कि तालिबान के साथ उसके संबंध कैसे होने वाले हैं। यह बात दुनिया से छुपी नहीं है कि पाकिस्तान तालिबान का कितना बड़ा समर्थक है और उसने आतंकवादी समूह का कितना साथ दिया है। अब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा। ब्लिंकेन ने इस दौरान अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी को भी सराहा। उन्होंने कहा कि भारत की मौजूदगी से अफगान में पाकिस्तान की नुकसानदेह गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है।

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से खुशी मनाते पाकिस्तान को अब अमेरिका ने चेतावनी दे दी है। अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान से उसके रिश्ते इस बात पर निर्भर करेंगे कि तालिबान के साथ उसके संबंध कैसे होने वाले हैं। यह बात दुनिया से छुपी नहीं है कि पाकिस्तान तालिबान का कितना बड़ा समर्थक है और उसने आतंकवादी समूह का कितना साथ दिया है। अब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा है कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा। ब्लिंकेन ने इस दौरान अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी को भी सराहा। उन्होंने कहा कि भारत की मौजूदगी से अफगान में पाकिस्तान की नुकसानदेह गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है।

पाकिस्तान के तालिबान के साथ गहरे संबंध रहे हैं। एक तरफ जहां अमेरिकी समर्थित सरकार तालिबान के साथ युद्ध लड़ रही थी वहीं पाकिस्तान आतंकी समूह का समर्थन करता रहा था – हालांकि इस्लामाबाद ने इन आरोपों से इनकार किया था। इसके अलावा कतर के बाद पाकिस्तान दूसरा ऐसा देशा है जिसका तालिबान पर सबसे अधिक प्रभाव है और 2001 में अमेरिका के आक्रमण के बाद कई बड़े तालिबानी नेता पाकिस्तान में ही पनाह लेने के लिए भाग गए थे।

अफगानिस्तान से सेना की वापसी के मुद्दे से निपटने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सोमवार को पुरजोर तरीके से बचाव किया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस साल अप्रैल में अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का ऐलान किया था। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने बेहद कम दिनों में अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसे लेकर अमेरिकी सांसदों ने बाइडन प्रशासन की आलोचना की थी।

अफगानिस्तान मामले पर संसद की समिति के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान सोमवार को ब्लिंकन ने कहा, ” इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अधिक समय तक ठहरने से अफगान सुरक्षा बल या अफगान सरकार को और अधिक मजबूती मिलती या वे आत्मनिर्भर हो जाते। यदि समर्थन, उपकरण और प्रशिक्षण में 20 साल और सैकड़ों अरब डॉलर पर्याप्त नहीं थे, तो एक और साल, या पांच या दस साल से क्या फर्क पड़ेगा?”

अफगानिस्तान के घटनाक्रम के संबंध में अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में सुनवाई होनी है। ब्लिंकन सोमवार को संसद की विदेश मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए और उन्हें सीनेट की विदेश संबंध समिति के समक्ष मंगलवार को पेश होना होगा।

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