दुनिया की सामान्य आबादी के लिए कोविड-19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत नहीं है. यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (U.S. Food and Drug Administration) के दो प्रमुख अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कई प्रमुख वैज्ञानिकों ने एक मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुए एक आर्टिकल में ये बात कही है. वैज्ञानिकों ने कहा कि बूस्टर डोज के इस्तेमाल को जायज ठहराने के लिए अधिक सबूतों की जरूरत है. ये अमेरिकी सरकार के अगले हफ्ते से फुली वैक्सीनेटेड लोगों को तीसरी डोज देने की योजना के उलट है.
दरअसल, अमेरिकी सरकार की योजना फुली वैक्सीनेटेड अमेरिकी नागरिकों को बूस्टर डोज लगाने की है. हालांकि, इसके लिए अभी हेल्थ रेगुलेटर्स से मंजूरी लेना बाकी है. कोरोनावायरस (Coronavirus) के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की वजह से कोविड-19 के मामलों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) का प्रशासन इस बात से चिंतित है कि जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, वो भी अब संक्रमित हो रहे हैं. इससे ये पता चलता है कि वैक्सीनेटेड लोगों की सुरक्षा समय के साथ कम हो रही है. इस वजह से प्रशासन इम्युनिटी तैयार करने के लिए बूस्टर डोज पर जोर दे रहा है.
बूस्टर डोज को लेकर कही गई ये बात
WHO ने तर्क दिया है कि दुनियाभर में पहली डोज के लिए अभी भी वैक्सीन की जरूरत है. लांसेट मेडिकल जर्नल में वैज्ञानिकों ने लिखा, बूस्टर डोज और बूस्टर डोज लगाने के समय को लेकर कोई भी निर्णय पर्याप्त क्लिनिकल और महामारी विज्ञान डेटा या फिर दोनों पर आधारित होना चाहिए. ये डेटा इस बात को दिखाते हों कि इनकी वजह से गंभीर बीमारियों में गिरावट हो रही है. उन्होंने कहा, जोखिम-लाभ मूल्यांकन इस बात पर आधारित होना चाहिए कि बूस्टर डोज की वजह से कितने कोविड मामलों कम होते हैं. इसके अलावा, क्या बूस्टर डोज वर्तमान वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी है.
कई मुल्कों में लगाई जा रही है बूस्टर डोज
वैज्ञानिकों ने लिखा, वर्तमान में मौजूद सबूत दिखाते हैं कि सामान्य आबादी को बूस्टर डोज लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गंभीर बीमारी के खिलाफ वैक्सीन प्रभावी है. कुछ देशों ने कोविड-19 बूस्टर अभियान शुरू किया है. इसमें इजरायल भी शामिल है. इन मुल्कों ने कुछ डेटा मुहैया कराया है, जिसे ध्यान में रखते हुए बाइडेन प्रशासन ने अतिरिक्त बूस्टर डोज लगाने का प्लान बनाया है. इस आर्टिकल के लेखकों में एफडीए कार्यालय के ‘वैक्सीन रिसर्च एंड रिव्यू’ डायरेक्टर मैरियन ग्रुबर और उप निदेशक फिल क्रूस शामिल हैं. आने वाले महीनों में दोनों लोग एफडीए छोड़ने वाले हैं. इनका कहना है कि कुछ लोग इसके जरिए लाभ कमाना चाहते हैं.