रायपुर. ये दुनिया का सच है कि जब जिंदगी से इंसान थक जाता है तब ईश्वर की शरण में होता है क्योंकि वही एक जगह है, जहां दुनिया के झंझावातों से कुछ शांति मिलती है. राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ajit Jogi) के बेटे और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे (JCCJ) के नेता अमित जोगी 19 सितम्बर से 30 सितम्बर तक विपश्यना सीखने जा रहे है. अपने चाहने वालों को जोगी ने अपने फेसबुक (Facebook) पेज पर जानकारी साझा करते हुए ये सूचना पोस्ट की है. इस दौरान वे एकांतवास पर रहेंगे.
अमित जोगी पूरे दस दिनो तक राजनीति से पूरी तरह दूर रहकर विपश्यना के लिए जा रहे हैं. जिस तरह का दृढ़ निश्चय उन्होंने किया है, उससे ऐसा लगता है कि पूरे दस दिनों में कितना बड़ा भी भूचाल आ जाए, वह अपने निर्णय पर अडिग रहेंगे. इन दस दिनों के दौरान उनका मोबाइल से भी संबंध डिस्कनेक्ट रहेगा.
अमित जोगी ने लिखा है कि सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक सुबह, दोपहर और रात में भोजन के समय को छोड़कर उनका समय ” मैं वो हूं” ध्यान में रहेगा. दरअसल उन्होंने ने निसर्गदत्त महाराज के द्वारा रचित पुस्तक ( i am that) यानी ‘मैं वो हूं’ के रहस्य को अपने अंदर आत्मसात करना चाहते हैं. उस साधना में किसी तरह का कोई खलल न हो पूरी तन्मयता और एकग्रता के साथ मैं वो के रहस्य को जानने के लिए उन्होंने विपश्यना का मार्ग चुना है. दरअसल 44 सालों की जीवन की यात्रा में जोगी मानसिक और भावनात्मक अड़चनों, तनावों और उलझनों को कंट्रोल करने चाहते हैं. उनका मानना है कि जीवन के अपनी पूरी यात्रा के आत्मचितन के लिए विपश्यना से दूसरा कोई उपाय नहीं है. इसलिए इस दुनिया से अलग आध्यत्म की दुनिया मे कुछ पल बिताना चाहते हैं.
ये आत्मज्ञान कहां से मिला ?
अमित जोगी ने अपने जीवन मे कुछ लोगो को विपश्यना में जाते देखा है, उस आधार पर उन्होंने ये फैसला लिया है. दरअसल कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी 2016 में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, और 2021 में अमित के पारिवारिक मित्र दिल्ली के डॉक्टर जयंत प्रसाद के साथ ही जोगी के ग्रह ग्राम पेंड्रा के पवन खत्री भी इस तरह का आत्म अनुभव कर चुके हैं. उन सबको प्रेरणास्त्रोत मानते हुए जोगी ने ये फैसला लिया है.