रायपुर. छत्तीसगढ़ का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा, इस पर संशय बरकार है. हालांकि इस बीच बयानों का अंदाज़ जरा फिल्मी हो चला है. प्रतिद्विंयों की तरफ से तारीफ के कसीदे भी पढ़े जा रहे हैं. मौका था राजधानी के पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम में आयोजित फार्मासिस्ट कॉन्फ्रेंस का था. भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव एक साथ एक ही मंच पर मौजूद थे. इस दौरान जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का संबोधन चल रहा था, तब दर्शकदीर्घा से किसी ने ‘कका जिंदाबाद’ के नारे लगा दिये. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ‘कका’ और ‘दाऊ’ के नाम से संबोधित किया जाता है. ऐसे में दर्शकदीर्घा से नारे सुन मुख्यमंत्री ने भी मौके पर चौका लगाया और मंत्री टीएस सिंहदेव की मौजूदगी में ही फिल्मी अंदाज़ में ‘कका अभी जिंदा है’ का डायलॉग दे मारा.
अब भूपेश बघेल के ‘कका अभी जिंदा हैं’ के डायलॉग के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि भूपेश बघेल कांग्रेस हाईकमान का भरोसा जीतने में सफल हो गए हैं और ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को आलाकमान ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. इसके अलावा, टीएस सिंहदेव भी कई बार दिल्ली की दौड़ लगा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई उन्हें कोई भरोसा नहीं दिया गया.
टीएस सिंह देव का भी बदला अंदाज
जब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का भाषण चल रहा था तब उन्होने मंच से सीएम भूपेश बघेल के तारीफ के कसीदे पढ़ने शुरू कर दिये. टीएस सिंहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री के सामने बहुत सारी मांगे आती है लेकिन हर मांग को सीएम ने पूरी संवेदनशीलता के साथ विचार किया और अपनी जिम्मेदारी को निभाने में कोई कमी नहीं की है. स्वास्थ्य विभाग को 3900 पद उपलब्ध कराए हैं. इतना ही नहीं उन्होने सीएम के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि देश में कई पैमानों पर छत्तीसगढ़ का नाम मार्ग प्रशस्त करने वाला बन गया है. दूसरे प्रदेश छत्तीसगढ़ की ओर देखने लगे हैं वैसा काम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई और मार्गदर्शन में हो रहा है. छत्तीसगढ़ मॉडल बन गया है.
कहने को तो दोनों ही नेता एक ही पार्टी के है लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों की अलग-अलग धूरी किसी से छिपी नहीं है लेकिन ये सियासत है जहां कुछ भी हो सकता है और फिर कहा भी ये जाता है कि सियासत में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. हालात के अनुसार परिस्थितियां बदलती रहती हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के सियासी हाल अभी कुछ अलग है ऐसे में सियासी सस्पेंस के बीच इन बयानों को भी राजनीतिक चश्मे से ही देखा जा रहा है.