लखीमपुर में बवाल पर छत्तीसगढ़ में सवाल ही सवाल : डॉ रमन ने CM से पूछा- सिलगेर में जब आदिवासी मारे गए तब कौन गया मिलने? सीएम बोले, रमन क्यों नहीं गए

रायपुर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत पर मचे बवाल पर छत्तीसगढ़ में भी भाजपा भी सक्रिय हो गई है। उत्तर प्रदेश जाने की कोशिश कर रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भाजपा ने घर में घेरने की कोशिश की है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस को बस्तर के सिलगेर गोली कांड और उसके बाद से चल रहा आंदोलन याद दिलाया है। डॉ. रमन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई घटना बेहद दुखद है, लेकिन लाशों पर राजनीति करना क्या सही है? बस्तर के सिलगेर में पुलिस की गोली से कई आदिवासी किसान मारे गए। पांच महीने से वो आंदोलन कर रहे हैं लेकिन राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और भूपेश बघेल में से कौन गया उनसे मिलने। यह दोहरा रवैया क्यों?’ इसके जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर हवाई अड्‌डे पर कहा, सिलगेर में भाजपा को जाने से हमने नहीं रोका। वो खुद ही नहीं गए। क्यों नहीं गए रमन सिंह ? वो तो आधे रास्ते से लौटकर आ गए। हमने सिलगेर जाने से किसी को नहीं रोका तो ये लखीमपुर जाने से क्यों रोक रहे हैं। हम क्यों पीड़ित परिवार से नहीं मिल सकते। वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कवर्धा के हवाले से मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। राजेश मूणत ने लिखा, कवर्धा में असामाजिक तत्वों द्वारा सामाजिक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण खराब करने पर धारा 144 लागू है। मुख्यमंत्री राजनैतिक पर्यटन पर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जाने की जिद कर रहे हैं। आप उत्तर प्रदेश के प्रभारी नहीं हैं। केवल पर्यवेक्षक बनाए गए हैं। अब तक तो पदेन मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ हैं।

दिल्ली के रास्ते यूपी जाने निकले सीएम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार सुबह लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के लिए रवाना होने वाले थे। इससे पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें रोकने का आदेश जारी कर दिया। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली के रास्ते उत्तर प्रदेश में घुसने की कोशिश करेंगे। इसके लिए वे दिल्ली रवाना हो गए हैं। इसलिए सिलगेर कांड का हवाला दे रही है भाजपा सुरक्षा बल बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में एक कैम्प बना रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण इस कैम्प का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का तर्क है कि सुरक्षा बलों ने कैम्प के नाम पर उनके खेतों पर जबरन कब्जा कर लिया है। ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान 17 मई को सुरक्षा बलों ने गोली चला दी। इसमें तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। भगदड़ में घायल एक गर्भवती महिला की कुछ दिन बाद मौत हो गई। पुलिस का कहना था, ग्रामीणों की आड़ में नक्सलियों ने कैम्प पर हमला किया था, जिसकी वजह से यह घटना हुई। लंबे गतिरोध और चर्चाओं के बाद 10 जून को ग्रामीण आंदोलन स्थगित कर सिलगेर से वापस लौटे। कार्रवाई होता न देखकर ग्रामीण एक बार फिर आंदोलन पर उतर आए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *