आंगनबाड़ी : सुपरवाइजर प्रमोशन की आहट सुनते ही ठग गिरोह सक्रिय, कार्यकर्ताओं पर जाल फेंकना शुरू

रायपुर। छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सुपरवाइजर के रूप में प्रमोट करने की बातें जैसे ही बाजार में फैली, कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपनी जाल में लेकर ठगने वाले तत्व भी सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश के कई जिलों से खबरें हैं कि अलग-अलग तरीकों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कॉल या मैसेज के जरिए संपर्क किया जा रहा है, उन्हें लुभावनी बातें कहकर जानकारी जुटाने की कोशिशें भी की जा रही है। जशपुर, धमतरी, राजनांदगांव, कोरबा और मुंगेली जिलों से कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ इसी प्रकार के संपर्क किए जाने की जानकारी मिली है। पता चला है कि कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संपर्क करके कहा जा रहा है कि उनका संगठन आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेकर उनके हितों में काम करता है। कुछ कार्यकर्ताओं को उनके प्रमोशन, वेतन बढ़ोत्तरी अथवा नियमितीकरण के संबंध में भी आश्वासन दिया जा रहा है। जानकारी मिली है कि कुछ लोग एनजीओ की शक्ल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संपर्क करके उनसे विभागीय जानकारी जुटाने की बात कह रहे हैं। दरअसल, उनसे उनके केन्द्र और अकाउंट संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए भरोसा जीतने ऐसी हरकतें की जा रही हैं। इधर, विभागीय अफसरों का कहना है कि ऐसे किसी संगठन अथवा व्यक्ति से विभाग के साथ कोई संबंध नहीं है। विभाग ने सभी आंगनबाड़ीकर्मियों को आगाह किया है कि वे ऐसे तत्वों से सतर्क रहें और संदेह होने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। धोखाधड़ी, ठगी आदि तमाम अपराधों के विवेचना से जुड़े जानकार अफसर कहते हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन, रोजगार सहायक और आशा बहनें आदि ऐसे वर्ग के कामगार हैं, जिन्हें अपने झांसे में लेना ऐसे तत्वों के लिए आसान होता है। इसीलिए वे उन्हें टारगेट करते हैं। असल में ऐसे लोग केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि प्रभावशाली व्यक्ति को अपने भरोसे और प्रभाव में लेकर एक साथ कई लोगों को झांसे में ले लेते हैं। क्योंकि गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अन्य ग्रामीण जागरूक और जानकार मानते हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को झांसे में लेने के बाद अन्य सामान्य लोगों को झांसे में वे आसानी से ले सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले मानसेवी कामगार ‘असली साहब’ और ‘नकली साहब’ में अंतर को नहीं पकड़ पाते, बल्कि वे झांसे में आ जाते हैं। यही कारण है कि उन्हें आसान टारगेट समझा जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों के दौरान कई जिलों की कार्यकर्ताएं सरकारी नौकरी, परमानेंट, प्रमोशन आदि की लालच में जालसाजों का शिकार हो चुकी हैं। इसके अलावा दूसरे विभागों में अटैच करा देने या संविदा पर नौकरी लगवा देने के झांसे ने भी कई कार्यकर्ताओं को अपनी चपेट में लिया है, लेकिन इसके बाद भी ठगी से पीड़ित होने की खबरें अभी तक आ रही हैं। इसीलिए विभाग ने भी आगाह किया है कि वे सतर्क रहें।

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