गली, मोहल्लों में किराना तथा सब्जी की दुकानों पर बिक रहा गांजा, हाेम डिलीवरी की भी सुविधा

आंकड़ों की हवा.हवाई में सबकुछ उलझा हुआ है हकीकत में धरातल स्थल पर नशा बडे स्तर पर पांव पसार चुका है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किरयाणा तथा सब्जियों की दुकानों पर नशा बिक रहा है। नशीले पदार्थों की पहुंच बड़े.बड़े महानगरों से होते हुए छोटे शहरों, कस्बों के गलियारों से होते हुए गांवों तक पहुंच चुकी है। सबसे खतरनाक बात यह है कि सिंथेटिक नशे का कारोबार जोरो से बढ रहा है। न केवल जिंदगी बर्बाद हो रही है बल्कि घर भी बर्बाद हो रहे है। बीडी, सिगरेट हुक्का से निकला नशा अब सिंथेटिक नशे स्मैक, हेरोइन तथा चीटा तक जा पहुंचा है। अगर आंकडों पर नजर दौडाई जाए तो फिलहाल जिले में लगभग साढे 300 लोग नशे का इलाज करवा रहे है। वर्ष 2020 में 72 लोग नशे की खेप के साथ पकडे गए तो वर्ष 2021 में अब तक 55 लोग पकड़े जा चुके है। भुक्की की मात्रा वर्ष 2020 में 875 किलोग्राम पकडी गई तो इस वर्ष अब तक 34 किलो भुक्की पकडी जा चुकी है। गांजा पिछले वर्ष 365 किलो पकडा गया था तो इस वर्ष 35 किलो पकड़ा गया है। हेरोइन 2.600 किलो पिछले वर्ष पकडी गई तो अब तक डेढ किलोग्राम पकड़ी जा चुकी है। जबकि ग्रामीण आंचल व शहर के बाहरी इलाकों में काफी स्थानों पर भांग भी खूब खड़ी हुई है, जिसका प्रयोग नशे के तौर पर किया जा रहा है।

महानगरों से निकल गली मोहल्लो, दुकानों पर बिक रहा नशा सिंथेटिक नशा के मामले महानगरों में सामने आते रहे है लेकिन अब नशा गली, मोहल्लो तक जा पहुंचा है। हाल ही में पुलिस ने शिवपुरी कालोनी नरवाना रोड पर किरयाणा तथा सब्जी की दुकानों पर छापेमारी की तो वहां पर लगभग साढे छह किलो गांजा पकड़ा गया था। जिसे फुटकर में बेचा जा रहा था। जिस हिसाब से दुकानों पर गांजा बिक रहा था उससे साफ जाहिर था कि खरीददार भी आसपास के लोग है। ढाबों पर नशा मिलने के मामले भी अक्सर सामने आते रहते है। बुढा बाबा बस्ती, दूर्गा कालोनी, भिवानी रोड, रामराये गेट, नरवाना की चमेला कालोनी सिंथेटिक नशों के लिए बदनाम है। जहां पर महिलाएं नशे का कारोबार चलाती है। यहां पर नशे को किसी भी समय खरीदा जा सकता है। अक्सर नशेडी युवकों को इन इलाकों में नशा खरीददते देखा जा सकता है।

प्वाइंटों पर हो रही डिलीवरी, सामान्य अस्पताल के आसपास लगा रहता है जमावडा नशेडियों को सामान्य अस्पताल के आसपास इलाके में मंडराते हुए देखा जा सकता है। हालांकि नशेडी इलाज करवाने के नाम पर इधर उधर मंडराते रहते है। खास बात यह भी है कि नशे की डिलीवरी भी वहां पर हो रही है। 100 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक पुडिया उपलब्ध यहां पर हो जाती है। डिलीवरी करने वालों को बकायदा अपने ग्राहकों की पहचान होती है। इसी प्रकार हुडा कॉम्प्लेक्स में गोहाना रोड के साथ फुटपाथ पर नशा करते हुए नशेडियो को देखा जा सकता है। नशे के कारोबार में महिलाएं भी पीछे नहीं है। दुर्गा बस्ती, बुढा बाबा बस्ती तथा नरवाना की चमेला कालोनी में महिलाओं को सिंथेटिक नशे का कारोबार देखा जा सकता है। हालांकि फुटकर में सिंथेटिक नशे की खरीद फरोख्त के दौरान नशे की मात्रा नाममात्र की होती है। जिसे दो या तीन डोज तक माना जाता है।

भुक्की, गांजा पॉलिथीन में, अफीम व चरस बत्तियों में, हेरोइन, स्मैक, चीटा सिल्वर पेपर या पुडिया में भुक्की तथा डोडा पोस्त, अफीम की ज्यादातर सप्लाई राजस्थान तथा एमपी से होती है। जबकि गांजा विशाखपट्नम तथा झारखंड से चरस हिमाचल तथा नेपाल से स्मैक, चीटा तथा हेरोइन बाराबंकी तथा दिल्ली से सप्लाई होती है। भुक्की, डोडा पोस्त तथा चरस के इक्के दुक्के मामलों को छोड दिया जाए तो सिंथेटिक नशे की कोई बड़ी खेप अब तक नहीं पकड़ी गई है। केवल फुटकर में बेचने वाले ही पकड़े जाते है। नशे के कारोबार को कौन संचालित कर रहे है और व्यापक स्तर पर कौन इसका कारोबार कर रहा है कौन बड़ी सरगना अब तक नहीं पकड़ा गया है। जबकि नशा हर जगह पांव पसारे हुए है और युवा उसकी गिरफ्त में आ रहे है। Also Read – हिसार के दिनेश का BCCI अंडर-19 चैलेंजर ट्रॉफी के लिए चयन हाथ डालने से बचती है पुलिस, मिलीभगत आ चुकी है सामने नशा गहरी जड़ जमा चुका है, कारोबार भी खूब हो रहा है, गली मौहल्लों, सडकों पर नशेडियो को देखा जा सकता है। बावजूद इसके पुलिस इन पर हाथ डालने से बचती है। जिसके पीछे मुख्य वजह उनकी नशे की जबरदस्त लत होना है। वहीं दूसरी तरफ दिसम्बर 2020 में उचाना थाना में चूरापोस्त का बड़ा मामला पकड़ी गया था। नारकोटिक्स टीम ने छापेमारी की तो पुलिस कर्मियों की संलिप्ता सामने आई। जिस पर सीआइए थाना प्रभारी, जांच अधिकारी समेत आठ कर्मियों को निलंबित किया गया, साथ में पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमें भी दर्ज किए गए थे। आदत में बदल जाता है शौक मनोवैज्ञानिक नरेश जागलान मानते हैं कि नशे की चपेट में किशोर और युवा बहुत तेजी से आ रहे हैं। शौकिया तौर पर बीडी, सिगरेट तथा हुक्का से किया गया नशा बाद में आदत में बदल जाता है। शुरुआत तो नासमझी के कारण होती है, जो आगे जाकर लत बनती जाती है। यह आदत कमजोरी में तब्दील हो जाती है। अब नशा आगे बढकर सिंथेटिक तक जा पहुंचा है। अभिभावक बच्चों पर नजर रखे और उन्हें सौहार्दपूर्ण माहौल दें। दिमागी बीमारियों का भी खतरा सामान्य अस्पताल के मैडिकल आफिसर डा. गोपाल गोयल ने बताया कि तंबाकू के सेवन से मुंह, गले के कैंसर के अलावा फेफड़े पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। सिंथेटिक नशे के सेवन से शरीर के स्वास्थ्य के साथ दिमागी बीमारियां भी होती हैं। इम्यूनिटी पावर कम हो जाती है और शरीर पूरी तरह खोखला हो जाता है। जिसके अंतिम परिणाम खतरनाक होते है। एएसपी नितिश अग्रवाल ने बताया कि पुलिस नशा रोकने के लिए गंभीर है। सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाती है। फिर भी नशे को रोकने के लिए आमजन का सहयोग होना जरूरी है। जो नशे का कारोबार करने वालों के बारे में पुलिस को सूचना दें। अपने स्तर पर भी पुलिस संदिग्ध लोगों पर नजर रखती है। नशे को रोकने के लिए हरसंभव कदम पुलिस द्वारा उठाए जा रहे हैं

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