जांजगीर के 2 किसानों का होगा सम्मान : छत्तीसगढ़िया धरोहर सजाये रखने के लिए 11 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री देंगे पुरस्कार

जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले के 2 किसानों को राष्ट्रीय स्तर का पादप जिनोम संरक्षण पुरस्कार मिलने वाला है। यह पुरस्कार उन्हें छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध 36 प्रकार की भाजियों और सांई करेला, सांई लौकी के संरक्षण और छत्तीसगढ़िया धरोहर बचा के रखने के लिए दिया जा रहा है। 11 नवंबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दोनों किसानों को पुरस्कार देंगे। सम्मान प्राप्त करने के लिए दोनों किसान बुधवार को ही रायपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। बताया गया है कि इस अवॉर्ड के लिए जिले के बलौदा ब्लॉक के बहेराडीह निवासी दीनदयाल यादव और सिवनी निवासी हेतराम देवांगन का चयन किया गया है। दीनदयाल यादव ने स्नातक तक की पढ़ाई की है। वह पिछले 15 सालों से खेती किसानी कर रहे हैं। दीनदयाल पिछले 15 साल में 150 किस्मों के देसी बीजों का संरक्षण व संवर्धन जांजगीर कृषि विज्ञान केन्द्र, जांजगीर कृषि महाविद्यालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सहयोग से कर रहे हैं। इसके अलावा दीनदयाल मशरूम उत्पादन, जैविक खाद निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी दीनदयाल सक्रिय हैं। दीनदयाल छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों का संरक्षण भी कर रहे हैं। इन्हीं 36 भाजियों के संरक्षण एवं पारम्परिक किस्मों के संरक्षण के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है। कोसे के कपड़े में प्राकृतिक रंगों की दिशा वहीं बताया जा रहा है कि किसान हेतराम देवांगन को साई करेला, साई लौकी के देसी किस्मों के संरक्षण के लिए चयनित किया गया है। हेतराम ने भी स्नातक तक पढ़ाई की है। उनके द्वारा सरंक्षित किए जान वाले सांइ करेला, सांइ लौकी के देसी किस्मों से बीपी और कालेस्ट्रॉल लेबल को नियंत्रित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि खेती किसानी के अलावा वह कोसे के कपड़े बनाने का काम करते हैं और उनके द्वारा कोसे के कपड़ो में रासायनिक रंगों के बजाए, प्राकृतिक रंगों से रंगने की दिशा में भी काम किया जा रहा है।

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