शहर संग्राम! अंतिम वार…प्रचार धुआंधार…आखिरी वक्त में कौन बदलेगा पासा, किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद

अंतिम दिन सियासी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। बीरगांव, भिलाई, रिसाली और चरोदा नगर निगम समेत 5 नगर पालिका और 6 नगर पंचायतों में कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने धुआंधार प्रचार किया और जीत के अपने-अपने दावे किए। अब सवाल है कि अंतिम दिन प्रचार के युद्ध में किसने बनाई बढ़त? आखिरी वक्त में कौन बदलेगा पासा ? और किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद?

नगरीय निकायों में चुनाव प्रचार थमने में चंद घंटे बाकी रह गए हैं, लेकिन कोई भी दल एक दूसरे को वॉक ओवर देने के मूड में नहीं है। बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेता निकायों में वार्ड स्तर पर सक्रिय हैं। खास तौर पर कांग्रेस ने बीरगांव, रिसाली, भिलाई और चरोदा नगर निगम में जीत के लिए 40 से ज्यादा विधायकों के साथ सौ से ज्यादा जनप्रतिनिधि और संगठन के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी है। रात 12 बजे के बाद प्रचार का शोर थमने के बाद डोर टू डोर कैपेनिंग के लिए ऱणनीति तैयार की जा रही है। दूसरी ओर बीजेपी भी ये चुनाव बेहद गंभीरता से लड़ रही है। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन पहले दिन से कार्यकर्ताओँ में जोश भर रहे हैं। जबकि पूर्व सीएम रमन सिंह सहित कई पूर्व मंत्री और विधायक भी मोर्चा संभाले हुए हैं, जिस पर सीएम भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं के प्रचार का कोई मतलब का नहीं है। 15 निकायों में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने वाला है।

15 निकायों के 370 वार्ड में हो रहे चुनाव के लिए कुल 13 सौ 45 प्रत्याशी मैदान में है, जहां कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। हालांकि बागियों के कारण कई वार्डों में मुकाबला त्रिकोणीय है। निकाय चुनाव में जीत-हार का अंतर महज कुछ वोटों से होता है, इसलिए दोनों पार्टी ने बागियों को मनाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन जब बात नहीं बनी तो बीजेपी ने कई निगमों में अपने बागी प्रत्याशियों को 6 साल तक के लिए निलंबित कर दिया। जबकि कांग्रेस इस मामले में अपने बागी प्रत्याशियों की सूची बनाई है, लेकिन कार्रवाई नहीं की है। भिलाई, रिसाली और चरोदा नगर निगम में कांग्रेस के कई बागी चुनाव लड़े रहे है। इन सबके बीच कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी अपने-अपने चुनावी वादों और दूसरे की वादाखिलाफी के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे है, तो दूसरी ओर दिग्गज नेता चुनावी सभाओँ में एक दूसरे पर जमकर हमला बोल रहे है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2019 में 10 निकायों में कांग्रेस के महापौर बने। तब कांग्रेस नेताओँ ने दावा किया कि राज्य सरकार के कामकाज पर मुहर लगी है। अब 15 निकायों का ये चुनाव भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। दरअसल दुर्ग संभाग में तीन नगर निगम समेत 6 नगर पालिका और नगर पंचायत में चुनाव हो रहे है, जहां इस संभाग में सीएम समेत 6 मंत्रियों का निर्वाचन क्षेत्र है और दूसरा ये कि चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए आगामी 2023 में होने वाले नफे-नुकसान की ओर संकेत देगा। वहीं बीजेपी को भी अपनी जमीनी हकीकत का एहसास हो जाएगा।

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