इस्लामाबाद। पाकिस्तान के भविष्य पर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) 18 अक्टूबर को यानी आज अपना फैसला देने वाली है। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहने के बाद पाकिस्तान को लगातार डर बना हुआ है कि उसका नाम कहीं डार्क ग्रे लिस्ट में न डाल दिया जाए, जो सुधरने की आखिरी चेतावनी है। हालांकि, यदि पाकिस्तान इससे बच भी जाता है, तो भी उसकी मुश्किलें कम नहीं होंगी क्योंकि उसका नाम अभी भी ग्रे लिस्ट में ही बना हुआ है।
एफएटीएफ के नियमों के अनुसार, ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट के बीच में एक अनिवार्य चरण डार्क ग्रे लिस्ट का होता है। ऐसा होने पर उसके लिए विदेशों से आर्थिक मदद जुटाने में काफी मुश्किल हो सकती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान लगातार डार्क-ग्रे लिस्ट में नाम डाले जाने से बचने के लिए दुनियाभर में हाथ-पैर मार रहा है। बताते चलें कि पेरिस स्थित मुख्यालय पर FATF की बैठक बुधवार को शुरू हो चुकी है और शुक्रवार यानी 18 अक्टूबर को पाकिस्तान के भाग्य पर फैसला आना है।
आतंकी फंडिंग को लेकर विश्व भर में पाकिस्तान की काफी किरकिरी हो चुकी है। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह बात सामने उठाई गई, लेकिन पाकिस्तान ने अपनी ओर से आतंकियों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। एफएटीएफ ने टास्क फोर्स की शेष सिफारिशों को लागू करने में मदद करने के लिए पाकिस्तान को चार महीने की राहत देने पर विचार किया है, जो फरवरी 2020 तक लागू रह सकता है। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला आज लिया जाना है।
बताते चलें कि पाकिस्तान को पिछले साल जून में ग्रे-सूची में रखा गया था। उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिए एक एक्शन प्लान दिया गया था, जिसके तहत 27 काम सौंपे गए थे। इसमें से महज छह कार्य ही पाकिस्तान पूरा कर पाया था। लिहाजा, पाकिस्तान को भी इस बात का अंदेशा है कि एफएटीएफ उसके खिलाफ कोई कड़ा कदम उठा सकता है। इस बैठक से पहले वह तुर्की, मलयेशिया और चीन से भी मदद मांगने के लिए पहुंचा था, लेकिन कोई खास सफलता पाकिस्तान को मिलती नहीं दिख रही है।