छत्तीसगढ़ में मची राम नाम की लूट, BJP से आगे निकली कांग्रेस

रायपुर. लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट, पाछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जाहि जब छूट. संत कबीर (Kabir) की इन लाइनों को आम जनता समझे या न समझे लेकिन राजनीतिक दल के लोग भलीभांति समझते हैं. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में राम नाम को लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस (Congress) अपने विरोधी दल बीजेपी (BJP) से भी आगे निकल गई है. प्रदेश में दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा खुद को भगवान राम (Lord Ram) का परम भक्त साबित करने की होड़ लगी है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या में राम मंदिर (Ram Temple) बनने या न बनने को लेकर तो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हाने के बाद निर्णय सुरक्षित है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreem Court) के निर्णय से पहले ही संभावना जताई जा रही है कि कोर्ट का निर्णय हिंदुओं के पक्ष में आएगा और वहां मंदिर ही बनेगा. शायद इसी बात को प्रदेश में सत्ताधारी दल कांग्रेस (Congress) समझ गई है और इसे भुनाने में लगी है. यही कारण है कि पिछले एक महीने में प्रदेश कांग्रेस द्वारा रामकथा का आयोजन कराया गया. रामलीला कराई गई. इतना ही नहीं वरिष्ठ मंत्री भी राम को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. हालांकि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस की अपेक्षा पीछे ही नजर आ रही है.

जन्म से ही रामभक्त

प्रदेश के स्वस्थ्य मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव का कहना है कि लोग जन्म से ही रामभक्त होते हैं. बीजेपी पर आरोप लगाते हुए मंत्री सिंहदेव ने कहा कि भावनात्मक मुद्दों पर चाहे वो राम भक्ति हो या धारा 370 हो बीजेपी इसके आधार पर राजनीति कर रही है. कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भाजपाइयों से ज्यादा कांग्रेसियों के रामभक्त होने का दावा किया था. उनका कहना था कि कांग्रेस के लोग ज्यादा रामभक्त हैं. वो भाजपाइयों की तुलना में ज्यादा मंदिर जाते हैं.

सबके हैं राम

बीजेपी इस मामले में राम को सबका बता रही है. रायपुर के सांसद व वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील सोनी का कहना है कि उनकी पार्टी जय श्रीराम का नारा देने के साथ ही सुराज लाने की कोशिश कर रही है. राम तो सबके हैं. बीजेपी के लोगों के लिए राम शुरू से ही आस्था का विषय रहे हैं. विरोधी दल इसपर राजनीति करते हैं. बहरहाल बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा राम को अपना बनाने की लगी होड़ से ये तो सच है कि राजनीति में राम नाम का बड़ा महत्व है. यही कारण है कि स्वयं को रामभक्त बताने में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है.

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