बेमेतरा : विश्व ग्लाकोमा सप्ताह दिनांक 06 से 12 मार्च तक मनाया जायेगा

बेमेतरा 05 मार्च 2022

राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार घोष के निर्देशानुसार एवं सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले व नेत्र विषेशज्ञ डॉ. नरेश चन्द्र लांगे तथा जिला नोडल अधिकारी (अंधत्व) डॉ. समता रंगारी के मार्गदर्शन में दिनांक 06 से 12 मार्च 2022 तक ’विश्व ग्लाकोमा सप्ताह’ का आयोजन किया जाएगा।

ग्लाकोमा के संबंध में 03 मार्च 2022 को नेत्र सहायक अधिकारियों की बैठक में निर्देशन दिया गया है कि जिला चिकित्सालय एवं प्रत्येक विकासखण्ड के समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नेत्र परीक्षण का आयोजन कर लोगों में जागरूकता अभियान चला कर लोगों का इलाज एवं निःशुल्क चश्मा उपलब्ध कराया जाएगा। नोडल अधिकारी डॉ. समता रंगारी ग्लाकोमा के संबंध में विस्तार से चर्चा की ग्लाकोमा (कॉचबिंद) आँख के अंदर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आँखों का तनाव धीरे-धीरे बढ़ता है और ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुॅचाता है। अतः परिणाम नजर धीरे-धीरे बंद हो जाती है, सही समय पर ईलाज कराने पर रोशनी जाने से रोका जा सकता है।

40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को समय-समय पर अपनी आँखों की जांच करानी चाहिए। आँखों के अंदर लगातार एक्वस हुमर नामक तरल प्रवाहित होते रहता है। आँखों की निश्चित आकृति बनाये रखने के लिए निश्चित मात्रा का एक्वस हुमर तैयार होते रहता है और उसी मात्रा में आँखों से बाहर निकलते रहता है। यदि बाहर निकलने का रास्ता किसी वजह से बंद हो जाता है तो आँखों के अंदर तरल की मात्रा बढ़ने से आँखों का तनाव बढ़ जाता है। ये तनाव सीधा ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुॅचाकर धीरे-धीरे नजर बंद कर देता है। अगर सही समय पर इलाज न किया जाये, तो व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो सकता है। ग्लाकोमा की शिकायत 45 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को, अपने परिवार में किसी को होने से, चश्में का नंबर जल्दी-जल्दी बदलना, बी.पी. या डायबिटीक के मरीज को हो सकती है। यदि आपको आँखों से बल्ब के चारों ओर रंगीन गोले नजर आए, आँखों में दर्द महसूस हो, रोशनी कम लगे तो यह काला मोतियाबिंद (ग्लाकोमा) हो सकता है।

ग्लाकोमा का कोई ईलाज संभव नहीं है, परंतु इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। यदि ग्लाकोमा के कारण दृष्टि चली गई है तो उसे जांच कर उपचार किया जाये तो बची हुई दृष्टि को बचाया जा सकता है। आँखों की दृष्टि जाने से पहले ही मरीज को स्वयं जल्द-से-जल्द इसकी जांच करानी चाहिए तभी इस बीमारी को रोका जा सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए एक बार नेत्र विषेशज्ञ से जांच अवश्य करानी चाहिए। यदि एक बार ग्लाकोमा हो जाए, तो हमें पूरी उम्र देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। बैठक में नेत्र सहायक अधिकारी श्री विजय देवांगन, श्री डी.के. साहू श्री सोहित साहू, श्री कमलेश कुमार डड़सेना, श्री अजीत कुमार कुर्रे, श्री विनोद कुमार साहू, श्री राकेश कुमार साहू, श्री लवकुश पटेल, श्री ओंकार सिंह चद्रांकर, श्रीमती सुषमा साहू, श्री गुलाब चंद सिन्हा, श्री लोकेश कुमार सोनवानी, अब्दुल हाशिम खान उपस्थित थे।

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