नई दिल्ली. धनतेरस (Dhanteras 2019) के मौके पर सोना खरीदना (Gold Price) शुभ माना जाता है. ऐसे में आप भी अगर ज्वेलरी खरीदने की तैयारी कर रहे तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि सरकार ने एक अक्टूबर को सोने की ज्वैलरी से जुड़े नियमों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब इसका असर देश के ज्वेलरी सेक्टर पर भी होगा. आपको बता दें कि अक्टूबर महीने की शुरुआत में उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan, Cabinet Minister of Consumer Affairs) ने बताया था कि वाणिज्य मंत्रालय ने सोने की ज्वेलरी के लिए बीआईएस हॉलमार्किंग (BIS Hallmarking) को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है. अब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सूचित करने के बाद इसे लागू किया जा सकता है.
2-3 महीने में लागू हो सकता है नया नियम- सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि तय प्रक्रिया के तहत अगले 2-3 महीने में ये नियम लागू हो जाएंगे. डब्ल्यूटीओ की ओर से तय किए नियमों के तहत, इस मामले में पहले उसको सूचित करना होगा. इस प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लग सकता है.
> मौजूदा समय में सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग करना स्वैच्छिक है. हालांकि इस नियम के लागू हो जाने के बाद सभी ज्वैलर्स को इन्हें बेचने से पहले हॉलमार्किंग लेना अनिवार्य हो जाएगा.
आपको बता दें कि सोने की हॉलमार्किंग का मतलब उसकी शुद्धता का प्रमाण है और मौजूदा समय में इसे स्वैच्छिक आधार पर लागू किया गया है. WTO की ओर से मंजूरी मिलने के बाद इसे अनिवार्य बनाया जाएगा.
नए नियम से क्या होगा- वाणिज्य मंत्रालय ने सोने के गहनों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. लेकिन, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूटीओ) में नियम नोटिफाई करने के बाद ही यह लागू होगा.
>> ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) द्वारा हॉलमार्क गोल्ड ज्वेलरी पर यह निशान होता है. इससे यह पता चलता है कि लाइसेंसधारक लैब में सोने की शुद्धता की जांच की गई है.
>> बीआईएस की वेबसाइट के मुताबिक यह देश में एकमात्र एजेंसी है जिसे सोने के गहनों की हॉलमार्किंग के लिए सरकार से मंजूरी प्राप्त है.
>> कई ज्वेलर्स बीआईएस की सेवा लेने की बजाय खुद हॉलमार्किंग करते हैं इसलिए खरीदारी से पहले यह जान लेना चाहिए कि ज्वेलरी बीआईएस हॉलमार्किंग है या नहीं.
>> मौजूदा समय में देश भर में लगभग 800 हॉलमार्किंग केंद्र हैं और सिर्फ 40 प्रतिशत आभूषणों की हॉलमार्किग की जाती है.
> भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक देश है, जो मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करता है. भारत प्रति वर्ष 700-800 टन सोने का आयात करता है.
> उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के पास हॉलमार्किंग के लिए प्रशासनिक अधिकार है. इसने तीन ग्रेड – 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट के सोने के लिए हॉलमार्किंग के लिए मानक तय किए हैं.
ग्राहकों को होगा सीधा फायदा- देश में सोने के आभूषणों में सोने की गुणवत्ता को लेकर कोई कसावट नहीं है. ऐसे में अनजान ग्राहकों को कई मौकों पर 22 कैरेट की बजाय 21 या अन्य अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों से कम कैरेट का सोना बेच दिया जाता है, जबकि दाम उनसे अच्छी गुणवत्ता वाले सोने के वसूले जाते हैं. हॉलमार्किंग के सही ना होने की स्थिति में उन्हें पहले चरण में नोटिस जारी किया जाएगा.
>> मौजूदा नियमों में हॉलमार्किंग केंद्र खोलने के लिए ज्वेलर्स को 10,000 रुपये का शुल्क देना होगा. यह केंद्र हरेक ज्वैलरी पर 35 रुपये का शुल्क लेता है.
>> हॉलमार्किंग से ज्वेलरी में सोने कितना लगा है और अन्य मेटल कितने है इसके अनुपात का सटीक निर्धारण एवं आधिकारिक रिकार्ड होता है.