झीरम हमले का जिम्मेदार कौन…? झीरम का अधूरा सच

बस्तर – परिवर्तन यात्रा भाजपा सरकार द्वारा किए गए विकास के विरुद्ध सुकमा से निकली थी, दरभा घाटी होते हुए जब यह यात्रा झीरम पहुंची तो नक्सलियों ने ब्लास्ट कर रोड को जाम कर दिया और दूसरी तरफ पेड़ काटकर पूरे क्षेत्र को ब्लॉक कर दिया था।

आपको बता दें कि हजार से अधिक की संख्या में नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 31 लोगों की शहादत हुई थी। इसी हमले में घायल हुए कुंजूलाल नेताम सहायक उपनिरीक्षक ने बताया कि जब लगातार फायरिंग चल रही थी तब वह नंदकुमार पटेल और उनके बेटे उनके साथ ही थे और उन्हें बचाने के लिए कुंजूलाल नेताम ने अपना सब कुछ लगा दिया और जब उन्हें गोली लगी तो उनके पेट की अतरिया बाहर निकल गई उन्होंने अपने पेट को संभालते हुए देखा कि नक्सली उनके पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि यही है मार दो.. मैदान सांस चेक कर  जब नक्सलियों ने उनकी नाक पर उंगली रख कान में केमिकल डाला तो कुंजूलाल दर्द को सहन ना कर पाने के कारण बेहोश हो गए…

विधायक रेखचंद जैन ने बताया कि नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ला, उदय मुदलियार महेंद्र कर्मा के साथ कई कांग्रेसी और सुरक्षा बल शामिल थे जिसमें नक्सल हमले में 31 लोगों की शहादत हुई,  लेकिन रमन सिंह के भाजपा सरकार ने जांच में लीपापोती करने के अलावा और कोई काम नहीं किया.. झीरम हमले में एसआईटी गठन करने के बाद दोबारा जांच करने की बात कही गई तो एनआईए ने फ़ाइलें देने से इंकार कर दिया…एनआईए की जांच से कांग्रेसी बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है साथ ही लीगल एडवाइजर ओं के माध्यम से फाइलों को मांगा जा रहा है.. पिछले सरकार ने जो काम किया है उसमें कोई भी रिजल्ट नहीं आया, झीरम हमले की पुनः जांच कराकर वास्तविक दोषियों का पर्दाफाश करेंगे और कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे

आपको बता दें उस दिन के बाद से ही झीरम में सीआरपीएफ कैंप बैठा दिया गया और झीरम सहित आसपास के इलाकों में पुलिस फोर्स बड़े पैमाने पर तैनात कर दी गई बस्तर रेंज के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि 2013 नक्सल हमले के बाद पुलिस और भी तरीके से चौकन्ना रह गई है साथ ही अलग-अलग प्रकार के आयोजन कर ग्रामीणों और जनता के बीच विश्वास जीतने में सफलता हासिल की है उसका परिणाम है कि 2018 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न किया गया

सवाल आज भी यही है कि

:देश के सबसे बड़े नक्सल हमले का जिम्मेदार कौन हैं और इसका जवाब कौन देगा..?

अपने परिजनों को गवा चुके वह परिवार आज भी झीरम नक्सल हमले में इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं

31 लोगों की शहादत होने के बाद कितने लोगों की गिरफ्तारी की गई

एनआईए ने जांच तो की लेकिन रिपोर्ट का जिक्र आज तक क्यों नहीं हुआ

किसी भी प्रकार की बड़ी घटना को अंजाम देने के बाद नक्सली घटना के वीडियो और प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं वह क्यों नहीं किया गया…?

क्या यहां किसी का प्लान था ..?

31 लोगों के सहादत में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं और सुरक्षाकर्मियों से कवासी लखमा भी शामिल थे

बड़ा सवाल यही है की इतने बड़े नक्सल हमले में कवासी लखमा को कोई भी चोट क्यों नहीं आई..?

चारों तरफ गोलियों का टांडव था उसके बाद नक्सलियों ने वर्तमान मंत्री कवासी लखमा को क्यों छोड़ा..?

बताया जाता है कि मंत्र कवासी लखमा सुकमा में अंदरूनी क्षेत्रों में अंदरुनी क्षेत्रों में बिना सुरक्षा बल और पीएसओ के बिना भी निकल जाते हैं….?

25 मई 2013 को सरकार ने नक्सली घटना पर जांच कराने के आदेश दे दिए लेकिन किसी भी प्रकार की बड़ी कार्यवाही नहीं हुई पहले तो कवासी लखमा ने कहा खाकी नक्सलियों ने उन्हें जाने को कहा तो क्या इसे कवासी लखमा की नक्सलियों के साथ दोस्ती कहा जा सकता है क्या इस हमले में कवासी लखमा का हाथ कहा जा सकता है सरकार बदल चुकी है देखना यह होगा कि कांग्रेस सरकार  25 मई 2013  हमले में शहीद हुए  कांग्रेस के शीर्ष नेता और  सुरक्षाबलों के हत्यारों  को क्या सजा देती है

विशेष – इस हमले में घायल हवलदार कुंजूलाल नेताम ने कवासी लखमा के बारे में किसी भी प्रकार का कोई जिक्र नहीं किया है जबकि उन्होंने यह बताया है कि नंद कुमार पटेल और उनके बेटे कुंजूलाल नेताम के साथ थे.. इसीके विपरीत कवासी लखमा नंद कुमार पटेल और उनके बेटे को अपने साथ होना बता रहे हैं

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