भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लोगों को स्वस्थ रखने के लिए आयोजित हुई राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव (Right to Health Conclave) का शनिवार को समापन हो गया. कॉन्क्लेव के समापन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल लालजी टंडन ने एक तरफ जहां सरकार की इस पहल की सराहना की वहीं डॉक्टर्स को आईना दिखाने का भी काम किया. राज्यपाल ने कॉन्क्लेव में आए हेल्थ एक्सपर्ट, डॉक्टर्स और आम लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के उस दौर में जब पहले के मुकाबले साधन बढ़ गए हैं तब भी स्वास्थ्य के अधिकार की मांग करनी पड़ रही है. ये अधिकार इसलिए मांगना पड़ रहा है क्योंकि लाभ पहुंचाने वालों का मानवीय स्वरूप बदल गया है.
बाज़ारवाद के कब्जे में मेडिकल सिस्टम
राज्यपाल ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि क्या कोई डॉक्टर ये कह सकता है कि उसके पास से कोई गरीब बिना दवा के नहीं जाएगा? राज्यपाल की मानें तो बाज़ारवाद ने देश के मेडिकल सिस्टम को अपने कब्जे में ले लिया है. मौजूदा वक्त में देश मे बड़े से बड़े डॉक्टर हैं लेकिन उन्हें जो फायदा हो रहा है क्या उसका फायदा समाज के वंचित लोगों को मिल रहा है? बहुत से डॉक्टर गांव में नहीं जाना ही नहीं चाहते. अव्वल तो शहर में रहेंगे और जो समय बचेगा उसमे भी प्राइवेट प्रैक्टिस करना ज्यादा पसंद करते हैं. अगर मानवीय संवेदना जाग जाएं तो ये अधिकार मांगना ही नहीं पड़ेगा.
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने राज्यपाल लालजी टंडन को दो दिन तक चले राइट टू हेल्थ मंथन का संकल्प पत्र सौंपा. स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने सरकार जल्द ही मध्य प्रदेश के लोगों को राइट टू हेल्थ देगी.
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ऐसा होगा राइट टू हेल्थ कानून
पीपीपी प्रोजेक्ट पर तैयार होने वाली इस योजना में करीब 1 करोड़ 88 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इसमे 4 सदस्यों के एक परिवार को आधार माना गया है. गंभीर बीमारियों के लिए यह अधिकार लागू रहेगा. इस योजना का अनुमानित बजट 1900 करोड़ रखा गया है.