बीजिंग
दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन अब आर्थिक और जनसांख्यकीय संकट से जूझ रहा है। पिछले साल से ही चीन की जनसंख्या कम होने लगी है। दशकों में ऐसा पहली बार हो रहा है और जानकारों का कहना है कि इसके दुष्परिणाम आगे चलकर सामने आने लगेंगे। चीन के एक स्वतंत्र डेमोग्राफर हे याफू की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में कुल 1 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ जो कि 2021 के मुकाबले 6 लाख कम है । इस हिसाब से कहा जा सकता है कि चीन में जन्मदर तेजी से कम हो रही है। लगातार छठा साल ऐसा है जब कि चीन में जन्मदर कम हो रही है। वहीं चीन में पिछले साल ज्यादा लोगों की मौत भी हुई है। कोविड इन्फेक्शन की वजह से भी बहुत लोग मरे थे। इस बार स्थिति और भयावह है। ऐसे में जन्मदर का कम होना और मृत्युदर का बढ़ना चीन के लिए खतरे की घंटी है।
चीन के सामने क्या मुसीबत आएगी
चीन में जन्मदर इतनी कम हो गई है कि यहां लोगों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत देनी पड़ी। पहले चीन में एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति थी। लेकिन साल 2016 में नीति खत्म कर दी गई। दरअसल चीन की बड़ी आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा संकट दिखाई दे रहा है। वर्कफोर्स कम हो रहा है और पेंशन लेने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है। अब चीन की अर्थव्यवस्था को अमेरिका से आगे निकलने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। वहीं जनसंख्या के मामले में इसी साल भारत से चीन पीछे हो सकता है।
चीन में हाल यह है कि कई जगहों पर बच्चे होने पर लोगों को इन्सेंटिव दिया जाता है। एक बच्चे पर 10 हजार युवान के अलावा हर साल तीन हजा रुपये की राशि दी जाती है। जनसंख्या वृद्धि को बूस्ट करने के लिए ये कदम उठाए जाते हैं। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के मुताबिक चीन में 2050 तक वर्कफोर्स में 26 करोड़ की कमी आ सकती है।
हो सकता है कि चीन अपनी रिटायरमेंट एज और पेंशन स्कीम में बदलाव करे। आने वाले सालों में पेंशन स्कीम खत्म भी की जा सकती है। फिलहाल चीन में कई सालों से पुरुषों के लिए रिटायरमेंट एज 60 साल औऱ महिलाओं के लिए 55 साल है। आने वाले समय में इसे बढ़ाया भी जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2035 में चीन में 60 साल के उम्र से ऊपर वाले लोग 30 फीसदी होंगे। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारत चीन को पीछे कर आबादी के मामले में पहले नंबर पर आ जाएगा।