Makar Sankranti 2023: ज्योतिषाचार्य पं. विमलकांत त्रिपाठी के अनुसार इस बार सूर्य धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी की रात 0845 बजे प्रवेश करेंगे और 16 को पूर्वाह्न 0945 मिनट तक रहेंगे। मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को सूर्योदय से मध्याह्न 1245 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति के दिन काशी में दशाश्वमेध के साथ ही प्रयाग घाट पर भी स्नान का विशेष महात्म्य है। गंगास्नान और देवी-देवता की अर्चना के बाद व्यक्ति को सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य आदि करना चाहिए। तिल एवं तिल से बने पदार्थों के दान का विशेष महत्व है। तिल दान एवं इसके उपयोग से समस्त पापों का शमन होता है।
पौराणिक मान्यता श्रीकृष्ण के जन्म के लिए यशोदा ने मकर संक्रांति के दिन व्रत रखा था। तब से मकर संक्रांति व्रत की शुरुआत हुई थी। पुराणों के अनुसार सूर्य के मकर राशि यानि उत्तरायण होने पर यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा मोक्ष प्राप्त करती है। महाभारत काल में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामह ने गंगातट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश की प्रतीक्षा की थी।
उत्तरायण को माना गया है देवों का दिन
मकर संक्रांति का पर्व जम्मू-कश्मीर व पंजाब में लोहड़ी के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में पोंगल नाम से ख्यात है। उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश पर यह पर्व मनाया जाता है। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध की ओर उदित होने से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दक्षिणायन देवताओं की रात्रि तथा उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। उत्तरायण के 6 माह उत्तम फलदायी मानी गई है। मकर संक्रान्ति के दिन तिल से बने पकवान ग्रहण करना शुभ फलदायी होता है।