नई दिल्ली
भारतीय सेना ने 'देवदूत' बनकर जम्मू-कश्मीर के माछिल सेक्टर में रहने वाली एक महिला की जान बचा ली। यह महिला गर्भवती है जो इन दिनों बर्फ से ढके कुपवाड़ा के डूडी गांव में रह रही थी। दरअसल, मंगलवार को इसकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई जिसकी सूचना आर्मी को दी गई। इसके बाद भारतीय सेना, वायु सेना और जिला प्रशासन की ओर से उसे बचाने के लिए संयुक्त प्रयास शुरू हुआ। आर्मी इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस टीम ने तुरंत कार्यभार संभाला और उसे इलाज के लिए एयरलिफ्ट करके जिला अस्पताल पहुंचाया।
सेना की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, स्थानीय सेना यूनिट को गांव के सरपंच का फोन आया कि मोहम्मद रफीक खान की पत्नी 35 वर्षीय जरीना बेगम की तबीयत बहुत खराब है। वह चार महीने की गर्भवती हैं और ब्लिडिंग की वजह से बहुत बीमार पड़ गई हैं। समस्या यह थी कि पिछले हफ्ते की बर्फ के बाद पूरा माछिल सेक्टर कट गया है। इसलिए जमीनी रास्ते से वहां पर मेडिकल एक्सपर्ट्स को भेजना संभव नहीं था। ऐसे में तुरंत मदद पहुंचाने के लिए IAF एयरक्राफ्ट को मौके पर भेजने का फैसला किया गया।
पहले सेना के हेलीपैड पर लाई गई महिला
गंभीर रूप से बीमार गर्भवती महिला को उसके पति और दो महिला रिश्तेदारों के साथ कुपवाड़ा में सेना के हेलीपैड पर ले जाया गया। इसके बाद कुपवाड़ा आर्मी हेलीपैड पर आर्मी इमरजेंसी मेडिकल रिस्पांस टीम ने कार्यभार संभाला। महिला का शुरुआती तौर पर इलाज किया गया और फिर आगे की मेडिकल जांच के लिए उसे जिला अस्पताल पहुंचा दिया गया। बयान में कहा गया कि इस मदद के लिए भारतीय सेना, वायु सेना और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों की माछिल सेक्टर और कुपवाड़ा के स्थानीय लोगों ने सराहना की है।
रामबन में भी गर्भवती महिला को पहुंचाया था अस्पताल
इससे पहले 15 जनवरी को सेना के जवानों ने सड़क पर बिछी चार से छह फुट बर्फ पर करीब 14 किलोमीटर चल कर गांव से गर्भवती महिला अस्पताल में पहुंचाया था। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि कुलसुम अख्तर (25) को खराब मौसम के बीच मंगत इलाके से निकाला गया। सेना की स्थानीय इकाई को खारी तहसील के हरगाम से सरपंच और अन्य ग्रामीणों से सूचना मिली की एक गर्भवती महिला को तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यता है। सैनिक चार से छह फुट बर्फ पर खुद रास्ता बनाते हुए पहुंचे और उन्होंने स्ट्रेचर से गर्भवती महिला को 14 किलोमीटर दूर अगनारी गांव पहुंचाया, वहां सेना की एक एंबुलेंस थी।