पोरतेंगा में गायों के लिए बन रहा मॉडल गौठान- पशुओं के लिए श्रमदान से हरे चारे की हुई बुआई

जशपुरनगर: छत्तीसगढ़ शासन की नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से गांव एवं ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है। ग्रामीणों को छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना दरअसल में उन्हें अपने तरक्क़ी और भलाई की योजना लगने लगी है । छत्तीसगढ़ शासन की इस योजना से जशपुर विकासखंड के ग्राम पोरतेंगा में लगभग 5 एकड़ रकबे में मॉडल गौठान का निर्माण किया गया है। यहां पशुआें के चारे एवं पानी का बेहतर प्रबंध किए जाने के साथ ही उनके देखरेख के लिए चरवाहा समिति भी गठित की गई है। शासन के मंशानुरूप चरवाहा समिति ने गौठान से लगे चारागाह की 8 एकड़ भूमि में से दो एकड़ भूमि में पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था हेतु मक्का और ज्वार की बुआई ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए श्रमदान से की है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि खेती किसानी छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के ग्रामीण जनजीवन का आधार रही है। कृषि यंत्रीकरण के बाद से पुराने खेती के तौर तरीके में बदलाव आया है। बैलों की जगह ट्रेक्टर से ख्ेत की जुताई, बुआई और मिजाई का काम होने तथा रासायनिक खादों के उपयोग ने खेती की लागत को बढ़ा दिया है। लागत मूल्य की तुलना में उत्पादन लाभ कम हो गया है। नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना दरअसल में खेती की लागत को कम करने वाली और गांव में मौजूद संसाधनों का बेहतर प्रबंधन कर किसानों को  अधिक लाभ पहुंचाने की योजना है। ग्रामीण और किसान इस येजना के उद्देश्य को भली-भांति समझ रहे हैं । यही वजह है कि छत्तीसगढ़ शासन की यह योजना वर्तमान समय में गांव में सबसे लोकप्रिय होते जा रही है। नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने से खुली चराई प्रथा को रोका जा सकता है । इसका लाभ यह होगा कि किसान बिना किसी डर भय के दोहरी फसल ले सकते है। नरवा यानि नाले के बहते पानी को रोककर निस्तार एवं सिंचाई की सुविधा के साथ ही भू-जल को बेहतर किया जा सकता है।
पोरतेंगा जशपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर आदिवासी बाहुल्य ग्राम है। यहां निवासरत 65 परिवारों के पास 300 से अधिक गौवंशी पशु हैं। इन पशुओं के रखरखाव चारे एवं पानी के प्रबंधन के लिए डे-शेल्टर के रूप में मॉडल गौठान का निर्माण कराया गया है। यहां आने वाले पशुओं की देख-रेख के लिए 10 सदस्यीय चरवाहा समिति गठित हैं जिसमें 5 महिला एवं 5 पुरूष हैं। समिति की महिलाएं बिहान समूह से भी जुड़ी हुई है। जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी श्री प्रेम सिंह मरकाम ने बताया कि गौठान में पशुओं की चारे की व्यवस्था के लिए 4 कोटना, 4 पेयजल टंकी तथा पैरा रखने के लिए 7 नग मचान का निर्माण कराया गया है। पशुओं के बैठने  के लिए मड़ई बनाई गई है। रोजगांव में सुबह मुनादी होती है और लोग अपने पशुओं को गोठान के लिए भेजतें है। धीरे-धीरे लोगों की आदत में बदलाव आने के साथ ही अब पशु भी घर से छूटने के बाद सीधे गौठान पहुंच जाते है। पशुओं के पेयजल एवं चारागाह की सिंचाइ्र्र के लिए यहां सोलरपंप लगाए जाने के लिए साथ ही दो कुंओं का निर्माण कराया गया है। सोलरपंप वाले बोर एवं दोनों कुंओं में पर्याप्त पानी है। ग्रामीणों के सहयोग से यहां पशुओं के लिए हरे चारे की बुआई श्रमदान से किए जाने के कार्य को कलेक्टर श्री निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने सराहा है और इसे अनुकरणीय बताते हुए जिले के अन्य गांवां में गौठानों के विकास में ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित करने को कहा है।
पोरतेंगा मॉडल गौठान में आने वाले पशुओं की स्वास्थ्य की सप्ताह में एक बार जांच पड़ताल करने के साथ ही पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी  आवश्यकतानुसार बधियाकरण एवं टीकाकरण करते है। कृषि विभाग द्वारा पोरतेंगा गांव के सभी किसानों के घर में नाडेप टांके का निर्माण कराया जा रहा है और उद्यानिकी विभाग द्वारा पोरतेंगा के किसानों के घरों से  लगे बाड़ी में हरी सब्जी विशेषकर भिन्डी, बरबट्टी करेला, टमाटर आदि लगाए जाने के लिए निःशुल्क बीज एवं मार्गदर्शन दिया जा रहा है। चारागाह में वृहद पैमाने में वृक्षारोपण के लिए गड्ढे की खुदाई की जा चुकी है। पशुओं की सुरक्षा के लिए गौठान के चारों सीपीटी की खुदाई की गई है। यहां शू-बबूल लगाए जाने की तैयारी की गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *