जयपुर
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर आंतरिक कलह बढ़ने के आसार दिखने लगे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 'गद्दार' कहने पर भी चुप रह गए सचिन पायलट अब अपने रुख में बदलाव करते दिख रहे हैं। 'किसान सम्मेलन' के जरिए शक्ति प्रदर्शन में जुटे पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पेपर लीक मुद्दे पर जहां युवाओं को साथ जोड़ने की कोशिश में जुटे हैं तो गहलोत सरकार को खुलकर निशाने पर ले रहे हैं। बुधवार को तो उन्होंने जिस तरह गहलोत पर कटाक्ष किया उससे राजस्थान कांग्रेस में रार और बढ़ने की आशंका जाहिर की जा रही है।
सचिन पायलट पिछले कई दिनों से बार-बार यह कहते रहे हैं कि पेपर लीक मामले में सरकार कार्रवाई कर रही है, लेकिन छोटे दलालों की बजाय सरगना को पकड़ना चाहिए। पायलट का इशारा पेपर लीक में कथित तौर पर कुछ अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता की ओर था। हालांकि, गहलोत ने कहा कि जिन लोगों पर ऐक्शन लिया गया है वही सरगना थे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पेपर लीक में कोई भी अधिकारी या नेता शामिल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पायलट किसी का नाम जानते हैं तो बताएं।
2018 से ही अशोक गहलोत की कुर्सी पर नजर टिकाए सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए क्लीनचिट को लेकर कटाक्ष किया और पूछा कि कैसे तिजोरी में बंद पेपर छात्रों तक पहुंच गए? राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत पर बड़ी प्रहार करते हुए पायलट ने पूछा कि यह कैसी जादूगरी है। पायलट ने कहा, 'इतनी बड़ी घटना यदि लगातार होती है तो जिम्मेदारी तो तय करनी पड़ेगी। अब कहा जा रहा है कि कोई अधिकारी, कोई नेता इसमें लिप्त नहीं था। परीक्षा की कॉपी तिजोरी में बंद होती है, तिजोरी में बंद होकर वह बाहर बच्चों तक पहुंच गई यह तो जादूगरी हो गई। यह कैसे हो सकता है, यह संभव नहीं है। कोई ना कोई तो जिम्मेदार होगा।' हालांकि, पायलट ने जांच का स्वागत किया और कहा कि उन्हें खुशी है कि इसमें शामिल लोगों को पकड़ा जा रहा है।
'शाम 5 बजे रिटायरमेंट, आधी रात तक नियुक्ति'
सचिन पायलट ने रिटायर्ड अधिकारियों को नियुक्ति दिए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि ये पद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'वरिष्ठ अधिकारी शाम 5 बजे रिटायर होते हैं और आधी रात तक उन्हें राजनीतिक नियुक्ति मिल जाती है। अच्छा होता कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ये पद मिलते ना कि रिटायर्ड नौकरशाहों को, क्योंकि अधिकारियों की राजनीतिक वफादारी नहीं होती है जबकि कार्यकर्ता अपनी पार्टी के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।'