एम्‍स में मनाया गया राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

रायपुर, 7 नवंबर 2019 । राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर को भारत में कैंसर, इसके लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की घोषणा पहली बार सितंबर 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने की थी। पहली बार इसे वर्ष 2014 में मनाया गया था। इसकी जागरूकता का उद्देश्य कैंसर के शुरुआती चरणों में ही इसका पता लगाने और उसका समय पर उपचार करने पर केंद्रित है। इसका मुख्य उद्देश्य कैंसर होने के संभावित कारणों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना एवं कैंसर के प्राथमिक स्तर पर ही उसकी पहचान करने के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना था।
एम्‍स रायपुर में कैंसर दिवस के मौके पर आज कैंसर रोग से पीडि़त एवं अन्‍य अस्‍पतालों से रेफर होकर पहुंचे मरीजों को एक कार्यक्रम आयोजित कर जागरुकता संबंधित जानकारी दी गई। इस मौके पर कैंसर वार्ड में अस्‍पताल के स्‍टाफ, आयुष्‍मान भारत योजना की टीम , नर्स , डॉक्‍टरों, फार्मसिस्‍ट सभी जागरुकता कार्यक्रम में शामिल हुए। एम्‍स अस्‍पताल अधीक्षक व न्‍यूक्लियर मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ. करन पिपरे ने कैंसर पीडि़त मरीजों को आयुष्‍मान योजना से लाभ पहुंचाने, इलाज, जांच सहित सभी प्रकार के दवाईयां उपलब्‍ध कराने पर जोर दिया। कैंसर के संभावित मरीजों को भी सीटीस्‍कैन, एमआरआई, पेट सीटी स्‍कैन मशीन से जांच की सुविधाएं प्रदान करने की जानकारी दी। इस मौके पर मुंबई से कैंसर के लिए आने वाली एफडीजी दवाई का लगभग 10 लोगों को इंजेक्‍शन के माध्‍यम से दिया गया। डॉ. पिपरे ने बताया, आधुनिक जीवन शैली , प्रदूषण, ,खानपान में बदलाव से कैंसर के रोग बढ़ रहे हैं। वहीं वर्तमान में शासकीय स्‍तर पर जांच के लिए अस्‍पताल में सुविधाएं मिलने से संभावित मरीज भी अस्‍पताल पहुंच रहे हैं।


भारत में हर साल कैंसर से 10 लाख लोगों की मौत :
डब्‍लूएचओ के अनुसार साल 2018 में कैंसर ने दुनिया में लगभग 96 लाख जीवन लेने का दावा किया और भारत का हिस्सा लगभग 8.17% था। वर्तमान में देश भर में कैंसर के 29 लाख मामले हैं और हर वर्ष 1.1 लाख नए मामले इस संख्या में और जुड़ जाते हैं. जबकि देशभर में सालाना 10 लाख लोगों की मौत का कारण कैंसर है। यदि कैंसर का शीघ्र पता लगा लिया जाए तो उसके उपचार पर होने वाला खर्च बहुत ही आंशिक और कम होता है किन्तु यदि कैंसर की बीमारी का विकसित दशा में पता लगता है तो उपचार की लागत कई गुना बढ़ जाती है.
बता दें कि कैंसर सौ से अधिक प्रकार के होते हैं। जब शरीर में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है तो इससे कैंसर होता है और अन्य ऊतकों पर भी आक्रमण करता है। यह शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि शुरुआत में ही कैंसर को डायग्नोस कर लिया जाए। लेकिन जब तक प्रभावी तरीके से हम यह नहीं बता सकते हैं कि हर प्रकार के कैंसर का कारण क्या होता है, तब तक हम सबसे आम लक्षणों को समझने की कोशिश कर सकते हैं। अगर हम हमारे शरीर में होने वाले छोटे-छोटे बदलाव पर ध्यान देंगे तो कैंसर को लक्षणों को पहचान सकेंगे। यहां ऐसे ही संकेतों के बारे में बताया है जो शरीर हमें देता है।
आखिरी स्टेज में आती हैं महिलाएं

एम्‍स रायपुर के कैंसर स्‍पेशस्‍लिट डॉ. करण पिपरे के मुताबिक, आज भी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करवाने में शर्माती हैं। यही नहीं पुरुष भी उनका साथ नहीं देते। जागरूकता की कमी की वजह से पीड़ित मरीज शुरुआती स्तर पर इलाज करवाने नहीं आते। इससे स्थिति और बिगड़ जाती है, जिससे ठीक हो पाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष लगभग 62 प्रतिशत ऐसी महिलाएं इलाज के लिए आई थीं, जिनमें कैंसर आखिरी स्टेज पर पहुंच चुका था। अगर ब्रेस्ट में सूजन है या गांठ है तो महिलाएं शर्माएं नहीं, समय पर जांच करवाएं। डॉ. पिपरे ने बताया कि देश में हर 8-9 में से 1 महिला ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में है। शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर में गांठ का आकार दो सेंटीमीटर का होता है। इस स्टेज में मरीज ऑपरेशन से ठीक हो सकता है। गांठ का आकार दो सेंटीमीटर से ज्यादा होने पर ऑपरेशन, सिंकाई और कीमोथेरपी की जरूरत पड़ती है। इस स्टेज में कैंसर ठीक होना मुश्किल हो जाता है। तीसरे स्टेज में मरीज का बचना मुश्किल हो जाता है।

 

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