रायपुर। गांधी-गोडसे और राम के बाद अब कांग्रेस धान पर भाजपा और मोदी पर हमला कर रही है। धान के उबाल से कांग्रेस मोदी फैक्टर को झुलसाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि अगले माह नगरीय निकाय और उसके बाद पंचायत चुनाव होने हैं। भाजपा और मोदी सरकार को किसान विरोधी बताने के लिए कांग्रेस ने गुस्र्वार को बस्तर, सरगुजा और दुर्ग संभाग के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में धरना दिया। शुक्रवार को रायपुर और बिलासपुर के ब्लॉक मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन होगा। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को देखते हुए कांग्रेस रणनीति के तहत न केवल भाजपा, बल्कि मोदी फैक्टर की धार को भोथरी करने में लगी है। भाजपा ने गांधी का राग अलापना शुरू किया, तो कांग्रेस ने उसकी गांधी भक्ति को गोडसे से जोड़ दी।
भाजपा को गोडसे की विचारधारा वाला बताया और कांग्रेस ने खुद गांधी विचारयात्रा निकाल दी। भाजपा राम के नाम पर हिंदुओं का वोट बंटोरती रही है, तो कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के राम की तान छेड़ दी। गांधी-गोडसे और राम का मामला थमा, तो धान को कांग्रेस ने पकड़ लिया है।
प्रदेश की कुल आबादी में से 70 फीसद किसान और उनके परिवार के लोग हैं। प्रदेश सरकार और कांग्रेस पूरे प्रदेश में यह माहौल बनाने में लग गए हैं कि मोदी सरकार और भाजपा किसान विरोधी हैं। छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है।
जब भाजपा की सरकार थी, तब मोदी सरकार ने समर्थन मूल्य के साथ बोनस देने की छूट दी थी। अब समर्थन मूल्य के साथ बोनस या प्रोत्साहन राशि देने पर रोक लगा दी है, ताकि किसानों के धान की 25 सौ स्र्पये में खरीद न हो पाए। इसके लिए कांग्रेस ने किसानों का हस्ताक्षर अभियान चलाया है और पाम्पलेट भी बांट रही है।
संगठनात्मक तैयारी में भाजपा से पीछे
नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए संगठनात्मक तैयारी में कांग्रेस पीछे है। भाजपा ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के लिए प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। कांग्रेस में अभी तक फौरी बैठक ही हुई है। पार्षद प्रत्याशियों के चयन का खाका भी तैयार नहीं हो पाया है और न ही मुद्दे तय किए जा सके हैं।