अयोध्या भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन को रामलला विराजमान की बताया है। उन्होंने मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए। जिसके लिए केंद्र को तीन महीने के भीतर नियम बनाने होंगे।
बता दें कि 1045 पेज के फैसले में कोर्ट ने पुरातत्व विभाग द्वारा विवादित जमीन पर किए गए उत्खनन की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है। कोर्ट के फैसले में पुरातत्व विभाग की इस रिपोर्ट ने बड़ी भूमिका निभाई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने नवंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट को अयोध्या विवादित भूमि के उत्खनन (खुदाई) की रिपोर्ट सौंपी थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा विवादित स्थल का सर्वेक्षण
एक अगस्त 2002 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रस्ताव दिया था कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा विवादित स्थल की खुदाई की जाए। हाईकोर्ट ने प्रस्ताव में यह भी कहा कि खुदाई से पहले एएसआई ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जमीन के भीतर मौजूद वस्तुओं की जानकारी देने वाला उपकरण) या भू-रेडियोलॉजी प्रणाली का उपयोग करके विवादित स्थल का सर्वेक्षण करे।
एएसआई ने एक कॉर्पोरेट इकाई (तोजो विकास इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड) के माध्यम से एक जीपीआर सर्वेक्षण किया था। इसकी रिपोर्ट 17 फरवरी 2003 को हाईकोर्ट को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में यह पाया गया कि रामचबूतरा से संबंधित गर्भगृह के उत्तर और दक्षिण के मुख्य मंच के पास कुछ विसंगतियां थीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था खुदाई का आदेश
इस रिपोर्ट को देखने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच मार्च 2003 को एएसआई को विवादित स्थल की खुदाई करने का आदेश दिया था। यह खुदाई 12 मार्च से सात अगस्त तक की गई।
एएसआई ने 25 अगस्त 2003 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस खुदाई से संबंधित अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी। जिसमें उसने कहा था कि विवादित ढांचे के नीचे नक्काशीदार ईंटों की विशाल संरचना, देवताओं की युगल खंडित मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प, पत्तों के गुच्छे, दरवाजों के हिस्से, कमल की आकृति और पूजा स्थल जैसी कई चीजें मिली हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इसमें उत्तर की ओर निकला एक परनाला भी है, जिसे शिवलिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा स्थल के नीचे 50 खंभों वाले एक ढांचे का आधार भी मिला है। एएसआई के अनुसार यह अवशेष उत्तर भारत के मंदिरों के जैसे हैं।
गुप्त, उत्तर गुप्त और कुषाण काल के मिले अवशेष
विवादित स्थल की खुदाई के दौरान एएसआई को गुप्त, उत्तर गुप्त काल और कुषाण काल के अवशेष मिले थे। टीम को खुदाई के दौरान गुप्त कालीन और कुषाण कालीन दीवारें मिली थीं। रिपोर्ट में यहां मिली विशाल संरचना को कुषाण कालीन बताया गया था। यहां शुंग काल की निर्मित एक चूना पत्थर की दीवार भी मिली थी।