नई दिल्ली
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत से 9 साल पुराने एक केस में राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक बयान को लेकर चल रहे केस में ट्रायल पर स्टे लगा दिया है। हालांकि, कोर्ट ने केजरीवाल के बयान पर नाराजगी जाहिर की और उन्हें भगवान को अकेला छोड़ देने की नसीहत भी दी। केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दलील देकर राहत मांगी कि अरविंद अब मुख्यमंत्री हैं और उन्हें बार-बार यूपी जाना पड़ेगा। उनकी गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
पहले सुल्तानपुर कोर्ट और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील खारिज होने के बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए ट्रायल की कार्यवाही पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई पांच सप्ताह बाद होगी।
सुनवाई के दौरान बेंच ने केजरीवाल के बयान पर नाखुशी भी जाहिर की और कहा, 'आप भगवान को बीच में क्यों ला रहे हैं? एक सेक्युलर देश में भगवान को अकेला छोड़ दें। भगवान को किसी की सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है, वह अपनी देखभाल खुद कर सकते हैं।'कोर्ट ने यह भी पूछा कि पद पर बैठे एक व्यक्ति को इस तरह के बयान क्यों देने चाहिए? सिंघवी ने कहा कि उस समय केजरीवाल किसी पद पर नहीं थे। सिंघवी ने केजरीवाल की ओर से कहा, 'अब जब मैं सीएम हूं तो मुझे बार बार यूपी बुलाया जाएगा। डिस्चार्ज खारिज कर दिया गया है, उद्देश्य मुझे बुलाना और गिरफ्तार करना है।' उन्होंने ऐसा कहते हुए ट्रायल पर रोक लगाने की मांग की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
केजरीवाल ने क्या दिया था बयान?
मामला 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान का है। कथित तौर पर यूपी के सुल्तानपुर में आप संयोजक ने वोटर्स से कांग्रेस और भाजपा को वोट ना देने की अपील करते हुए विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, 'जो कांग्रेस को वोट देगा, मेरा मानना है कि देश के साथ गद्दारी होगी। जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा माफ नहीं करेगा, देश के साथ गद्दारी होगी।'इस बयान को लेकर केजरीवाल के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 के तहत आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था।