बीजापुर। छत्तीसगढ़ में अब नक्सलवाद के दिन खत्म होने को हैं। पुलिस और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के साथ ही आदिवासी ग्रामीणों में आ रही जागरूकता और लोकतंत्र के प्रति भरोसे ने यहां से नक्सलवाद के पैर उखाड़ने शुरू कर दिए हैं। संगठन में काम कर रहे नक्सली सदस्य नक्सलवाद की खोखली विचारधार से मोह भंग होने की वजह से समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे है और पुलिस प्रशासन से भी उन्हें सकारात्मक सहसोग मिल रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को बीजापुर थाने पहुंचकर सात इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें तीन महिला नक्सली शामिल हैं। सभी नक्सलियों पर कुल मिलाकर 13 लाख रुपये का इनाम सरकार द्वारा घोषित किया गया था।
जिले के पुलिस अधीक्षक दिव्यांग पटेल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आईजी पी सुंदरराज के निर्देश पर सीआरपीएफ डीआजी कोमल सिंह के सहयोग से क्षेत्र में नक्सल उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत नक्सलियों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़े।
पुलिस और सुरक्षा बलों के इसी प्रयास के परिणाम स्वरूप सात इनामी नक्सलियों ने जिला पुलिस मुख्यालय पहुंचकर आत्मसमर्पण की इच्छा प्रकट की। उन्होंने अपने हथियार भी जमा कराए। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को शासन की पुर्नवास नीति का लाभ दिया जाएगा।
रामजी उर्फ बिधोम, उदन्ती एलओएस डिप्टी कमांडर ने इंसास राइफल के साथ आत्मसमर्पण किया है। इसपर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। डिप्टी कमांडर लखमु मोड़ियाम ने अपने एसएलआर हथियार के साथ आत्मसमर्पण किया। इस पर भी तीन लाख रुपये का इनाम था। आत्मसमर्पण करने वाले अन्य नक्सलियों में लक्खू तेलाम, संगीता मोड़ियामी, रंजीता ओयाम, राजकुमारी यादव, हुंगा पोड़ियामी सहित अन्य शामिल हैं। इन्हें 10-10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि तत्काल सहायता के रूप में प्रदान की गई है।