रायपुर। छत्तीसगढ़ में भगवान राम की माता कौशल्या पर राजनीति तेज हो गई है। मौजूदा सरकार तो पहले से कौशल्या का नाम जपने लगी थी, अब कांग्रेसी भी सक्रिय हो गए हैं। माता कौशल्या के नाम पर जुबानी जंग अब सोशल मीडिया वार में तब्दील हो गया है। कांग्रेसियों का कौशल्या के लिए प्रेम देखकर भाजपाइयों को भी माता कौशल्या की याद आ गई है। माता कौशल्या के मंदिर का वीडियो डालकर माता कौशल्या के लिए भक्ति दिखाने में जुट गए हैं।
कौशल्या पर राजनीति अयोध्या के राम जन्म स्थान पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तेज हुई है। उर, दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म स्थान पर नौ नवंबर को फैसला सुनाया और इर, 13 नवंबर को कांग्रेस के दो विधायक कौशल्या माता के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 2.20 लाख का चेक लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंच गए। 16 नवंबर को कांग्रेस के पूर्व विायक और दूाारी मठ के महंत राम सुंदर दास ने यह घोषणा कर दी कि जो माता कौशल्या की सही जन्मतिथि बताएगा, उसे 11 लाख स्र्पये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
जय श्री राम का नारा लगाने वाली भाजपा से कौशल्या के प्रति कांग्रेस और उसकी सरकार की भक्ति देखी नहीं जा रही। इस कारण भाजपाइयों ने कौशल्या माता के मंदिर के साथ अपना वीडियो डालकर ब्रांडिंग शुरू कर दी है, लेकिन उनके पोस्ट पर कांग्रेसी यह सवाल उठा रहे हैं कि 15 साल की भाजपा सरकार ने माता कौशल्या के मंदिर के लिए क्या किया? यह बहस सोशल मीडिया पर छिड़ी हुई है।
चौबे ने छेड़ा, उनके-हमारे राम की तान
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने पहले भाजपा और कांग्रेस के राम की तान छेड़ी। उन्होंने कहा था कि भाजपा और हमारे राम में अंतर है।
मुख्यमंत्री ने जपा ‘छत्तीसगढ़ के राम” का नाम
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जगह-जगह ‘छत्तीसगढ़ के राम” का नाम जपना शुरू कर दिया। उन्होंने राम के वनवास काल को छत्तीसगढ़ से जोड़ा।
पहली बार कराया ‘कौशल्या के राम” का मंचन
कांग्रेस नेताओं की समिति ने पहली बार राजानी में ‘कौशल्या के राम” रामलीला का मंचन कराया, जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री अलग-अलग दिन पहुंचे थे।
राम वनगमन मार्ग को पहचान दिलाएगी सरकार
‘छत्तीसगढ़ के राम” को प्रचारित करने के लिए सरकार राम वनगमन मार्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगी। इसकी शुरुआत कौशल्या मंदिर से होगी।