कोंडागांव
रविवार को कोंडागांव के भूमि अधिग्रहण से प्रभावित डोगरीगांव ,पलारी, मसोरा, कोंडागांव आदि गांवों पीड़ित किसानों की बैठक कोंडागांव-उमरकोट (उड़ीसा) अंतरराज्यीय सड़क के किनारे डोंगरीगुड़ा में संपन्न हुई, जिसमें सैकड़ों पीड़ित आदिवासी किसान परिवारों ने भाग लिया। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों ने अपने आंदोलन की आगामी रणनीति तय करने हेतु यह बैठक बुलाई गई थी।
इस बैठक में मार्गदर्शन हेतु अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक तथा देश के जाने माने किसान नेता डॉ राजाराम त्रिपाठी को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। उल्लेखनीय है कि डॉ त्रिपाठी देश के 223 किसान संगठनों द्वारा गठित एमएसपी-किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। बैठक में पीड़ित किसानों ने एक बार फिर दोहराया कि , हम सभी किसान विकास के खिलाफ बिल्कुल नहीं हैं, और हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द हमारा बाईपास बनाया जाए। लेकिन हमारे पुरखों की अमानत हमारी अनमोल जमीनों को शासन हमसे कौडि?ों के मोल अधिकृत कर रहा है, और जमीनों का जो मूल्य शासन ने तय किया है, वह वर्तमान बाजार मूल्य से बहुत ही कम है। यह सरासर अन्याय है। दुखद है कि इस संदर्भ किसान क्षेत्र के सभी अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर चुके हैं, पर हम गरीब आदिवासी किसानों की बात कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। इसलिए हम सभी किसानों ने आज की बैठक में एक मत होकर डॉ राजाराम त्रिपाठी को इस मामले में हमारा मार्गदर्शन करने देश के सभी किसान संगठनों को हमें न्याय दिलाने में मदद करने हेतु निवेदन किया है ।
इस संबंध में हमने लगभग 100 पीड़ित किसानों के द्वारा हस्ताक्षरित सामूहिक आवेदन पत्र भी देश किसान के संगठनों के मुखिया को सौंपा है । पीड़ित किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के लिए जो नीति तथा दरें शासन ने तय की है वह बहुत ही पक्षपातपूर्ण हैं। बाईपास हेतु भूमि अधिग्रहण में जिस किसान की कम जमीन जा रही है उसे तो ज्यादा पैसा मिल रहा है जबकि जिस किसान की जमीन ज्यादा जा रही है उसे अपेक्षाकृत कम मूल्य मिल रहा है। सरकार द्वारा किसानों की भूमि का तय किया रेट भी वास्तविक बाजार मूल्य से बहुत ही कम है। जो हमें स्वीकार्य नहीं है। किसानों ने कहा कि उनकी भूमि का मुआवजा व्यवसायिक भूमि की दर से दिया जाए। प्रभावित किसानों का यह भी कहना है कि उनके पास कृषि जमीनों के अलावा आजीविका का अन्य कोई साधन नहीं है। इसलिए सरकार कृपा कर उनके लिए समुचित वैकल्पिक नियमित रोजगार की व्यवस्था के उपरांत तथा न्यायोचित मूल्य भुगतान करने के उपरांत ही उनकी भूमि का अधिग्रहण करें। आज की बैठक के संबंध में डॉ त्रिपाठी ने कहा पीड़ित किसानों ने अब अपना एक संगठन बनाया है और अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए वो आंदोलन की ओर अग्रसर हैं तथा किसानों ने आंदोलन के मार्गदर्शन हेतु उनसे संपर्क किया है। हालांकि उन्होंने कोई भी आंदोलन प्रारंभ करने के पूर्व किसानों और सरकार दोनों को मिल बैठकर, यथासंभव इस समस्या का उचित व्यवहारिक हल ढूंढने हेतु कहा है।