नई दिल्ली
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पश्चिम बंगाल पहुंच रहे हैं। इस दौरान वह शुक्रवार को सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात करने जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सोमवार को ही इस मुलाकात की जानकारी दे दी थी, लेकिन इस बैठक के कई बड़े सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। दरअसल, यह मुलाकात सपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से एक दिन पहले ही होने जा रही है। माना जा रहा है कि पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव के साथ-साथ 2023 में ही होने वाले हिंदी भाषी तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति बना सकती है। इसके अलावा अखिलेश और ममता के बीच चर्चा ऐसे समय पर हो रही है, जब देश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी मोर्चे की तैयारी हो रही है। रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के अलावा पार्टी महासचिव और बनर्जी के भतीजे अभिषेक भी बैठक का हिस्सा हो सकते हैं। टीएमसी के एक नेता नेता जानकारी दी थी कि मीटिंग के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ केंज्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का मुद्दा भी उठेगा।
पुराना है सपा-टीएमसी का दोस्ताना
हालांकि, अखिलेश और ममता के बीच की सियासी कहानी नई नहीं है। साल 2021 में टीएमसी सुप्रीमो यूपी चुनाव में अखिलेश की मदद का ऐलान कर चुकी हैं। उन्होंने कहा था, 'अगर अखिलेश चाहें, तो हम उन तक मदद पहुंचाने के लिए तैयार हैं।' खास बात कि इस ऐलान से कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। हालांकि, साल 2021 में पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत के लिए अखिलेश ने भी ममता का साथ दिया था। उस दौरान टीएमसी ने आक्रामक प्रचार में जुटी भाजपा को हराया था।
बीते साल दिसंबर में उन्होंने 2024 के लिए कई विपक्षी दलों के एक साथ आने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था अखिलेश, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं के अलावा बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन) भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए टीएमसी के साथ आएंगे।
सपा भी बढ़ा रही है कदम
इधर, सपा भी यूपी से निकलकर विपक्षी मोर्चा के लिए कवायद करती नजर आ रही है। हाल ही में उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की तरफ से खम्मम में आयोजित रैली में शिरकत की थी। कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब सीएम भगवंत मान, केरल सीएम पिनराई विजयन समेत कई नेता शामिल थे।
गैर-कांग्रेस गठबंधन को हवा
खबरें हैं कि केजरीवाल भी दिल्ली में विपक्षी मोर्चा के लिए दलों को न्योता दे सकते हैं। अब खास बात है कि सियासी हलकों में टीएमसी और आप दोनों ही ऐसे दल हैं, जिनकी कांग्रेस से बनती नहीं दिख रही है। इधर, आप की भारत राष्ट्र समिति से बढ़ती करीबियां भी गैर कांग्रेसी मोर्चे की अटकलों को हवा दे रही हैं। कांग्रेस और बीआरएस के बीच भी खींचतान चलती रहती है।