लखनऊ
लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर से मरीजों की दलाली का खेल चलता है। इसमें कर्मचारी और निजी अस्पताल संचालकों की साठगांठ से धंधा चलता है। बेबस मरीजों की सौदेबाजी कर उन्हें निजी अस्पताल शिफ्ट किया जाता है। आधी रात में यह धंधा सबसे तेज चलता है। ट्रॉमा सेंटर में प्रदेश भर से गंभीर मरीज आते हैं। ज्यादातर बेड हमेशा भरे रहते हैं। रात में स्ट्रेचर तक मरीजों को नहीं मिल पाते हैं। वेंटिलेटर से लेकर ऑक्सीजन बेड का सबसे ज्यादा संकट रहता है। इसका फायदा निजी अस्पताल संचालक उठा रहे हैं। ट्रॉमा कर्मचारियों से मिलीभगत कर गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का झांसा देकर ले जाते हैं।
ट्रॉमा सेंटर के आस-पास छोड़े-बड़े करीब 150 अस्पताल व नर्सिंग होम चल रहे हैं। जिन मरीजों को ट्रॉमा में बेड नहीं मिल पाता है दलाल उन्हें यहां आसानी से भर्ती कराते हैं। इसके बदले बतौर कमीशन उन्हें मोटी रकम दी जाती है। सबसे ज्यादा दलाली वेंटिलेटर की जरूरत वाले मरीजों की होती है। एम्बुबैग के सहारे मरीज दलाल व कर्मचारियों के निशाने पर होते हैं। परेशानहाल तीमारदार आसानी से दलाल व कर्मचारियों के झांसे में आ जाते हैं। ऐसे मरीज ट्रॉमा में लामा लिखकर मरीज को निजी अस्पताल ले जाते हैं। रोजाना 10 से 15 मरीज लामा लिखकर मरीज को निजी अस्पताल लेकर जा रहे हैं।
दलालों से हारा केजीएमयू
निजी अस्पताल के दलालों से केजीएमयू प्रशासन हार गया है। तीमारदारों की पहल पर दलाल पकड़े गए। उन्हें पुलिस के हवाले किया गया। पर, केजीएमयू प्रशासन की तरफ से कोई शिकायत नहीं की गई। नतीजतन कुछ घंटों में दलाल फिर से छूट जाते हैं। अब तक इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई है।